उमरिया। संजय गांधी ताप विद्युत परियोजना के जोहिला डैम में मछलियों का शिकार करने के लिए रासायनिक पदार्थों का उपयोग किया जाने लगा है. बरसात नहीं होने से मछलियां जल्दी जाल में नहीं फंसती, जिसके चलते रासायनिक पदार्थों का इस्तेमाल किया जा रहा है. जिससे छोटी व बड़ी मछलियां बड़ी संख्या में मारी जा रही हैं.
मत्स्य विभाग को चूना लगा रहे स्थानीय, रासायनिक पदार्थों का उपयोग कर पकड़ रहे मछलियां - मत्स्य पालन
संजय गांधी ताप विद्युत परियोजना के जोहिला डैम में प्रतिबन्ध के बावजूद मछलियां पकड़ने के लिए रासायनिक पदार्थों का उपयोग किया जा रहा है, जिसमें विभागीय अधिकारियों के मिलीभगत की भी खूब चर्चा है.
डैम से लगे क्षेत्रों में मछली का खूब व्यवसाय हो रहा है, जिसमें मत्स्य पालन विभाग व पुलिस प्रशासन का सहयोग होने की भी खूब चर्चा है. बताया गया है कि रात्रि में डैम पर लगाये गए जाल अल सुबह निकाल लिए जाते हैं, जिनमें फंसी मछलियों को अलग-अलग स्थानों पर 70 से 150 रुपये प्रति किलो की दर से बेचा जाता है.
बीते दिनों मत्स्य पालन समिति के पदाधिकारी देवलाल इंद्रपाल सिंह आदि ने मछली मारने वालों को मछली सहित पकड़ा था, जिसमें विभाग के अधिकारियों की मौजूदगी में दिखावे की कार्रवाई भी की गई थी. भले ही शासन ने 15 अगस्त तक मछली शिकार पर रोक लगाई हो, लेकिन उसका पालन नहीं हो रहा, बल्कि कुछ जिम्मेदारों का जेब जरूर गर्म हो रहा है.