उमरिया। हिन्दू पंचांग में 12 माह होते हैं. इसका आधार सूर्य और चंद्रमा होता है. सूर्य वर्ष 365 दिन और करीब 6 घंटे का होता है, वहीं चंद्र वर्ष 354 दिनों का माना जाता है. इन दोनों वर्षों के बीच करीब 11 दिनों का फासला होता है. ये फर्क तीन साल में एक माह के बराबर हो जाता है. इसी अंतर को पाटने के लिए हर तीन साल में एक चंद्र मास अस्तित्व में आता है. बढ़ने वाले इस महीने को ही अधिक मास या मलमास कहा जाता है.
मलमास कैसे हुए पुरुषोत्तम मास-
पुराणों में अधिकमास यानी मलमास के पुरुषोत्तम मास बनने की बड़ी ही रोचक कथा है. उस कथा के अनुसार, स्वामीविहीन होने के कारण अधिकमास को 'मलमास' कहने से उसकी बड़ी निंदा होने लगी. इस बात से दु:खी होकर मलमास श्रीहरि विष्णु के पास गया और उनसे अपना दुख बताया. भक्तवत्सल श्रीहरि उसे लेकर गोलोक पहुंचे जहां वहां भगवान श्रीकृष्ण ने मलमास की व्यथा जानकर उसे वरदान दिया- 'अब से मैं तुम्हारा स्वामी हूं. इससे मेरे सभी दिव्य गुण तुम में समाविष्ट हो जाएंगे. मैं पुरुषोत्तम के नाम से विख्यात हूं और मैं तुम्हें अपना यही नाम दे रहा हूं. आज से तुम मलमास के बजाय पुरुषोत्तम मास के नाम से जाने जाओगे.' प्रति तीसरे वर्ष (संवत्सर) में तुम्हारे आगमन पर जो व्यक्ति श्रद्धा-भक्ति के साथ कुछ अच्छे कार्य करेगा, उसे कई गुना पुण्य मिलेगा. इस प्रकार भगवान ने अनुपयोगी हो चुके अधिकमास को धर्म और कर्म के लिए उपयोगी बना दिया. अत: इस दुर्लभ पुरुषोत्तम मास में स्नान, पूजन, अनुष्ठान एवं दान करने वाले को कई पुण्य फल की प्राप्ति होगी.
कब से होगी दुर्गा पूजा-
इस साल 17 अक्टूबर से दुर्गा पूजा की शुरुआत होगी. विजयादशमी 25 अक्टूबर को है. हर साल पितृपक्ष समापन के अगले दिन से शारदीय नवरात्र की शुरुआत