उमरिया। आदिवासी युवक की मौत के बाद उसके शव को मोटरसाइकिल से बांधकर गांव ले जाया गया. यह नजारा जिसने भी देखा उसका दिल पसीज गया. यह घटना उमरिया जिले के मानपुर की है. मानपुर के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में आदिवासी की मौत के बाद उसके शव को परिजन, मोटरसाइकिल से बांधकर अपने गृह गांव पतौर ले गए.
मानपुर मुख्यालय के ग्राम पतौर के रहने वाले मृतक सहजन कोल को अचानक पेट में दर्द हुआ था. जिसे इलाज के लिये मानपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र लाया गया. जहां उसे समय रहते इलाज नहीं मिल सका और अस्पताल परिसर में ही तड़प-तड़प कर उसकी की मौत हो गई. असहाय परिजन इस बीच एक दूसरे का मुंह देखते रहे, लेकिन शव को गांव तक पहुंचाने के लिए ना एंबुलेंस की सुविधा मिली और ना ही कोई अन्य साधन. जिसके बाद मृतक के परिजन खुद ही शव लेकर घर की ओर निकल पड़े.
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बाइक पर ले गए शव
मानपुर विधानसभा क्षेत्र के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में शव वाहन न होने के कारण आये दिन गरीब और असहाय आदिवासियों को परेशानी का सामना करना पड़ता है. इन हालातों में आदिवासी साइकल और मोटरसाइकल पर लाश लाने ले जाने के लिए मजबूर होते हैं. ऐसा ही जब पतौर के रहने वाले आदिवासी युवक की इलाज के अभाव में मौत हो गई, तो मजबूर परिजनों को मोटरसाइकल में शव को रस्सी से बांध कर ले जाना पड़ा.
25 किमी ले गए शव
मृतक जिस गांव का रहने वाला था. वह गांव बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के पतौर रेंज में है. यह गांव मानपुर से लगभग 25 से 30 किलोमीटर की दूरी पर है. मृतक के शव को मानपुर से पतौर तक मोटरसाइकिल पर उसके साले लेकर गए थे. सहजन कोल जब सुबह बीमार हुआ तो उसे इसी बाइक से उसके साले सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचे. बताया गया है कि मौके पर कोई डॉक्टर नहीं था
इस मामले में सीएमएचओ आरके महरा का कहना है कि मृतक को उपचार दिया गया था लेकिन उसे बचाया नहीं जा सका. शव को मोटरसाइकिल से क्यों ले जाया गया और क्यों सुविधा नहीं मिल पाई इसके बारे में उन्होंने बताया कि जिम्मेदार बीएमओ से चर्चा करके ही कुछ कह पाएंगे. मानपुर स्वास्थ्य केंद्र के बीएमओ डॉ. बीके प्रसाद कटनी से अप डाउन करते हैं और वे भी स्वास्थ्य केंद्र में नहीं थे.