उज्जैन। कोरोना संक्रमण काल के कारण देश की बिगड़ती अर्थव्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशवासियों से आत्मनिर्भर बनने की अपील की है. जिसके बाद अब उज्जैन जिले की महिलाएं भी आत्मनिर्भर बन रही हैं. जिले के कई स्व सहायता समूह की महिलाएं आत्मनिर्भर बनने के साथ-साथ कोरोना से लड़ने में विशेष भूमिका का निर्वाह कर रही हैं. यह महिलाएं घर का कामकाज करने के साथ मास्क और पीपीई किट बना रही हैं.
उज्जैन जिले की स्वसहायता समूह महिलाएं बन रही आत्मनिर्भर उज्जैन जिले के कई स्व सहायता समूह वर्तमान में कोरोनावायरस में विशेष भूमिका का निर्वाह कर रहे हैं. विभिन्न समूह से जुड़ी महिलाएं घर में कामकाज के साथ-साथ कोरोनावायरस और आम जनों के लिए मास्क और पीपीई कित बना रही हैं. इस प्रयास से एक ओर जहां मास्क और पीपीई किट की पर्याप्त संख्या में आपूर्ति हो रही है, वहीं दूसरी ओर समूह की महिलाओं ने आत्मनिर्भर बनने की दिशा में एक कदम और आगे बढ़ा लिया है.
अब हमें रेडिमेड मास्क और पीपीई किट के लिये किसी अन्य फैक्टरी पर निर्भर नहीं होना पड़ेगा. बस केवल इन समूहों को किट बनाने का पूरा रॉमटेरियल उपलब्ध करवाया जाता है और काफी कम समय में मास्क और पीपीई किट बनकर तैयार हो जाते हैं.
अब तक 174765 मास्क और 6334 पीपीई किट निर्मित किये
उज्जैन जिले में विभिन्न स्वसहायता समूहों द्वारा अब तक 174765 मास्क और 6334 पीपीई किट निर्मित किये जा चुके हैं. ऐसा ही एक स्वसहायता समूह देवास रोड स्थित ग्राम चन्देसरा में स्थित है. समूह का नाम सरस्वती स्वसहायता समूह है, जिसकी अध्यक्ष संगीता सोलंकी और सचिव रीना मकवाना ने बताया कि ये स्वसहायता समूह दिसम्बर 2012 में बनाया गया था. वर्तमान में अध्यक्ष और सचिव के लावा इसमें 19 सदस्य हैं. सामान्य दिनों में समूह द्वारा मध्याह्न भोजन और रेडिमेड कपड़े बनाये जाने का काम किया जाता था, लेकिन कोरोना संकट के दौरान अप्रैल-2020 से समूह की महिलाओं द्वारा मास्क और पीपीई किट निर्मित कर प्रशासन को उपलब्ध करवाये जा रहे हैं.
संगीता सोलंकी ने बताया कि उन्होंने मात्र एक बार मास्क और पीपीई किट निर्मित होते हुए देखा था. उसके बाद उसे बनाना सीख लिया. फिर उन्होंने समूह की अन्य महिलाओं को भी मास्क और पीपीई किट बनाना सीखाया. आज उन्हें यह जानकर खुशी होती है कि उनके द्वारा बनाये गये मास्क और पीपीई किट का उपयोग अस्पतालों में कोरोना वॉरियर्स कोरोना संक्रमण के इलाज के दौरान कर रहे हैं. इससे उन्हें ऐसा लगता है कि कोरोना के खिलाफ देशभर में जारी जंग में उन्होंने अपनी ओर से भी योगदान दिया है.
सुबह 11 बजे से 6 बजे तक महिलाएं करती हैं काम
सरस्वती स्वसहायता समूह की सचिव रीना मकवाना ने बताया कि समूह द्वारा प्रात: 11 बजे से शाम 6 बजे तक मास्क और पीपीई किट का निर्माण किया जाता है. निर्माण के दौरान सभी महिलाओं द्वारा हर बार सेनीटाइजर का उपयोग तथा स्वच्छता का विशेष ध्यान रखा जाता है. उनके यहां इसके लिये चार मशीनें है, जिन पर निरन्तर काम चलता रहता है. अब तक इस समूह द्वारा लगभग 10950 मास्क और 4664 पीपीई किट का निर्माण किया जा चुका है.