उज्जैन। 51 शक्तिपीठों में से एक हरसिद्धि माता का मंदिर है, जो उज्जैन में स्थापित है. इस मंदिर में 1011 दीपमाला है, जो दो स्थानों पर प्रज्वलित की जाती है. इसको लगाने के लिए 6 सदस्य की टीम पहले तेल भरने का कार्य करती है. इसके बाद आरती शुरू होते ही इनको प्रज्वलित किया जाता है. यह काम बड़ा जोखिम भरा होता है. इसी को ध्यान में रखते हुए उज्जैन कलेक्टर कुमार पुरुषोत्तम ने हाइड्रोलिक सिस्टम से दीप प्रज्वलित करने की बात कही है. जिसे एक सप्ताह में यह हाइड्रोलिक सीढ़ियां मंदिर पहुंच जाएगी. इस हाइड्रोलिक सिस्टम से अब श्रद्धालु अपनी जान बिना जोखिम में डाले आसानी से दीप प्रज्वलित कर सकेंगे.
यहां गिरी थी माता सती की कोहनी: दरअसल, महाकाल मंदिर के पीछे माता हरसिद्धि का मंदिर 51 शक्तिपीठ में से एक है. यहां माता सती की दाएं हाथ की कोहनी गिरी थी. इसलिए इसे 51 शक्तिपीठों में से एक स्थान कहा जाता है. वहीं उज्जैन के राजा विक्रमादित्य की आराध्य देवी भी हैं, इसीलिए यहां पर श्रद्धालुओं की अच्छी खासी भीड़ देखने को मिलती है. वहीं माता हरसिद्धि के मंदिर के प्रांगण में दो स्थानों पर दीप जलाए जाते हैं. जिसमें 1011 दीप रोजाना शाम को प्रज्वलित किए जाते हैं. यह दीपमाला श्रद्धालुओं द्वारा प्रज्वलित कराई जाती है, लेकिन इसको प्रज्वलित करने के लिए 6 सदस्य की टीम अपनी जान जोखिम में डाल प्रज्वलित करने का काम करती है. इसी को ध्यान में रखते हुए अब इसे हाइड्रोलिक सिस्टम से प्रज्वलित करने का कार्य किया जाएगा.