Nagpanchami 2022: भारत में नाग पंचमी को लेकर कई तरह की मान्यताएं और मिथक हैं, लेकिन आज के दिन Etv Bharat आपको उस मंदिर के दर्शन करा रहा है जहां पहुंचने के लिए पाताल से होकर गुजरना पड़ता है. यहां की यात्रा आसान नहीं है, लेकिन इंसान इस आस में यहां जाता है कि उसकी जिंदगी का हर कष्ट दूर हो जाएगा. मध्य प्रदेश के सतपुड़ा की वादियों में बसता है ये मंदिर. यहां जाने से पहले आपको अपने स्वास्थ्य का खास खयाल रखना पड़ता है, क्योंकि रास्ता बेहद कठिन हैं. यहां पहुंचने के लिए कई दुश्वारियों से होकर गुजरना पड़ता है. कई जगह ऑक्सीजन लेवल कम हो जाता है. मगर जब यहां कोई शख्स पहुंचता है फिर उसे दुनिया के सबसे दुर्लभ नजारे देखने को मिलते हैं. तस्वीरों के जरिए आप देखें मंदिर के बाहर और भीतर की गुफाओं का दृष्य. पहाड़ों के बीच से ही पाताल का रास्ता है. (Nagpanchami 2022 utsav )
नागलोक की पहाड़ियों के नजारे नागलोक की दर्गम पहाड़ियां मध्य प्रदेश के सतपुड़ा की पहाड़ियां देश में सबसे पुरानी मानी जाती हैं. यहां से नागलोक की तरफ एक रास्ता जाता है जो काफी कठिन है. मान्यता है कि जब सफर खत्म होता है और प्राचीन नागलोक के दर्शन हो जाते हैं तो इंसान का कालसर्प का दोष दूर हो जाता है. रास्ते में नागमणी नाम का मंदिर है जहां के दर्शन करने के लिए लोग कठिन चढ़ाई करते हैं. इसी रास्ते को पाताल का रास्ता भी कहते हैं. क्योंकि मार्ग काफी मुश्किल और संकरा है. कई गुफाएं हैं और रास्ते में काफी दुश्वारियां हैं. जगह-जगह सर्पराज रेंगते मिलेंगे. कई लोग इसे देख डर जाते हैं. कई लोग इन बाधाओं को पार करने का हौसला खो देते हैं, तो कुछ सफर पूरा कर मंजिल तक पहुंच जाते हैं. जो रास्ता पार कर लेता है उसे ही नागलोक का दुर्लभ दर्शन मिलता है.
नागलोक के रास्ते की गुफाएं जो बेहद संकरी हैं रहस्यमय बात यह है कि आमतौर पर इंसान ऐसी परिस्थितियों को देखकर सहम जाता है. मगर ये सर्प कभी किसी को नुकसान नहीं पहुंचाते. जिन्होंने भी यह मार्ग तय किया है किसी की भी सर्पदंश से मौत नहीं हुई. लोगों की मान्यता है कि नागलोक के राजा सच्चे मन से जाने वाले दर्शनार्थियों की रक्षा खुद करते हैं. उन्हें उनका आशिर्वाद हासिल होता है. यहां पहुंच कर लोग पूजा पाठ करते हैं और नागपंचमी पर विशेष अनुष्ठान में भाग लेते हैं. (Amazing Naglog Temple)
नागलोक में नागपंचमी का उत्सव इस रास्ते की खड़ी पहाड़ियां ऐसी हैं कि लोग बस उन्हें देखते ही रह जाते हैं. मगर जब इन पर चढ़ना होता है तो रास्ता काफी मुश्किल हो जाता है. कई जगह पर लोगों के विश्राम के लिए टेंट की भी व्यवस्था होती है. साल में महज एक बार ही यह रास्ता आम लोगों के लिए खोला जाता है. इस क्षेत्र में बाघ से लेकर कई खतरनाक जानवर मिलते हैं. यहां की पहाड़ियां के रास्ते काफी दुर्गम हैं. नागपंचमी के दिन इस स्थल पर लोगों को पहुंचने की अनुमति मिलती है. यहां कई गुफाएं हैं जो 100 से 150 फीट गहरी हैं.
नागलोग जाने के लिए गुफा के पास बना पुल इसके अलावा एक रास्ता छत्तीसगढ़ की पहाड़ियों से होकर भी गुजरता है. जशपुर में एक रास्ता जाता है जिसका नाम तपकरा है. इस जगह पर सांपों की सबसे ज्यादा प्रजाती देखने को मिलती है जो काफी खतरनाक भी है. तपकरा काफी रहस्यों से भरा हुआ है और यहां की गुफाओं में इंसानों का जाना मना है. जो कोई भी इसमें घुसा कभी वापस जिंदा नहीं लौटा. लिहाजा गुफाओं को सुरक्षा के नजरिए से बंद कर दिया गया है. यहां राम और सीता के आने का भी प्रसंग प्रचलित है. मगर फिलहाल इंसानों के लिए यहां प्रवेश पूरी तरह से वर्जित है.
सतपुड़ा की वादियों में नागलोक नागचंद्रेश्वर (Nagchandreshwar Temple) के दर्शन करने से ही इंसान का कालसर्प दोष दूर होता है. मगर नागपंचमी पर पूजन के कुछ तरीके हैं जिसे मानना चाहिए. इस बार 2 अगस्त को नागपंचमी है, लिहाजा अगर आप नागलोक जा रहे हैं या फिर किसी भी मंदिर में दर्शन कर रहे हैं तो कुछ खास बातें आप जान लें. नागपंचमी को स्नान के बाद भगवान भोले भंडारी शिव शंभू के दर्शन और ध्यान करें. उनका अभिषेक करें और साथ में बेलपत्र चढ़ाएं. हल्दी के साथ चांदी के बने नाग और फूल, चावल जरूर अपने पास रखें और इन्हें अर्पित करें. कच्चे दूध से दुग्धाभिषेक करने की भी परंपरा है. सबसे खास बात जिसका ध्यान हर हाल में रखें वो यह कि बिना शंकर भगवान की पूजा के नागराज की पूजा ना करें, क्योंकि नाग भोलेनाथ के श्रृंगार माने जाते हैं. यानि पहले बाबा भोले के दर्शन करने के बाद ही नागदेव के दर्शन पूजन करें.
नागलोक की पहाड़ियां जिन पर गुफाएं हैं