शिवपुरी।प्रदेश की 28 विधानसभा सीटों में उपचुनाव का बिगुल बज चुका है. उपचुनाव की तारीखों का ऐलान होते ही राजनीतिक दलों ने अपनी कमर कस ली है, और जोर-शोर से अपने चुनाव प्रचार में जुट गए हैं. इन 28 विधानसभा सीटों में शिवपुरी की पोहरी सीट भी शामिल है, जहां सभी राजनीतिक पार्टियों के प्रत्याशियों ने अपनी चुनावी रैलियां और जनसंपर्क शुरू कर दिया है. जानें पोहरी विधानसभा सीट के बारे में-
धाकड़ और ब्राह्मण उम्मीदवारों का रहा दबदबा
पोहरी विधानसभा सीट में पिछले 43 सालों से सिर्फ धाकड़ या ब्राह्मण उम्मीदवारों ने ही जीत का स्वाद चखा है. इस बार उपचुनाव में भी मुख्य मुकाबला इन दोनों जातियों के ही उम्मीदवारों के बीच है. बीजेपी की ओर से जहां सुरेश राठखेड़ा चुनवी मैदान में हैं तो वहीं कांग्रेस की ओर से हरिवल्लभ शुक्ला मैदान में हैं.इसके अलावा बसपा ने कैलाश कुशवाह को चुनावी मैदान में खड़ा किया गया है. पोहरी विधानसभा के चुनाव में साल 1977 के बाद से हमेशा ही इन दोनों जातियों के उम्मीदवारों के बीच मुकाबला रहा है. हालांकि यहां पर धाकड़ जाति के वोट ब्राह्मण जाति के मुकाबले कई ज्यादा हैं.
दूसरी जातियां भी निभाती अहम रोल
धाकड़ और ब्राह्मणों के अलावा यहां दूसरी जातियां भी अहम भूमिका निभाती हैं, जिनमें सबसे महत्वपूर्ण है आदिवासी और आदिवासी जनजाति वोट. इन दोनों ही जातियों को साधने वाली पार्टी के लिए चुनावी राह सरल हो जाती है, लेकिन पिछले 40 सालों से किसी लीडिंग पार्टी ने कोई भी आदिवासी उम्मीदवार मैदान में नहीं उतारा है. इस बार के उपचुनाव में अब इसी जाति के वोट निर्णायक भूमिका निभा सकते हैं.
कौन-कौन है प्रत्याशी
प्रत्याशी | पार्टी |
---|---|
सुरेश राठखेड़ा | बीजेपी |
हरिवल्लभ शुक्ला | कांग्रेस |
कैलाश कुशवाह | बसपा |
पारम सिंह रावत | निर्दलीय |
वोट बटोरने के लिए पुत्रों का ले रहे सहारा
पोहरी सीट को जीतने के लिए पार्टियां जी-जान लगाकर मेहनत कर रही हैं. यही वजह है कि जातिगत वोटों को बटोरने के लिए नेताओं के पुत्रों का भी सहारा लिया जा रहा है. सीएम शिवराज सिंह चौहान के पुत्र कार्तिकेय के जरिए धाकड़ वोट बैंक को साधने की कोशिश की जा रही है. वर्तमान विधायकों से जनता असंतुष्ट है, जिसके नतीजे में कांग्रेस छोड़ बीजेपी का दामन थामने वाले इन प्रत्याशियों को पुरजोर आजमाइश का सामना करना पड़ रहा है.
कांग्रेस ने ब्राह्मण वोट पर लगाया दांव
कांग्रेस ने हरिवल्लभ पर अपना दांव खेला है. ब्राम्हण वोट बैंक के सहारे कांग्रेस अपनी नैया को पार लगाने में जुटी हुई है. हरिवल्लभ की राह इसलिए आसान नहीं है क्याेंकि वह पहले भी दो बार पोहरी का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं, जिसमें एक बार कांग्रेस के टिकट पर और दूसरी बार समानता दल से विधायक चुने गए. इन्हें भी अपने कार्यकाल के दौरान विरोध का सामना करना पड़ा था.
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पारम सिंह रावत बने हरिवल्लभ और राठखेड़ा की राह का रोड़ा
कांग्रेस के परंपरागत वोट बैंक आदिवासी और ब्राह्मण वोटों को लेकर चुनाव में अपना भाग्य आजमा रहे हरिवल्लभ के लिए इस बार का चुनावी राह आसान नहीं है, क्योंकि कांग्रेस में ही रहे पूर्व जनपद अध्यक्ष पारम सिंह रावत भी निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव में कूद गए हैं. पोहरी विधानसभा में रावत समुदाय के 12 हजार मतदाता हैं, जो कि इस बार के विधानसभा उप चुनाव में निर्णायक भूमिका निभा सकते हैं. इसके अलावा निर्दलीय प्रत्याशी पारम सिहं रावत कांग्रेस के साथ बीजेपी प्रत्याशी सुरेश राठखेड़ा की राह में भी रोड़ा बनकर खड़े हो गए हैं. ऐसे में जानकारों का कहना है कि निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ रहे पारम से हरिवल्लभ और राठखेड़ा दोनों को ही नुकसान होगा.