शहडोल। बदलते वक्त के साथ बहुत कुछ बदल रहा है, शहडोल जिला भले ही आदिवासी जिला है, लेकिन यहां भी बहुत कुछ बदलाव देखने को मिल रहे हैं. लोग तरक्की की राह पकड़ रहे हैं. पहले के जमाने में ज्यादातर लोग साइकिल में चलते दिखाई देते थे, लेकिन अब सड़कों पर शौकिया तौर पर ही कुछ लोग दिखाई देते हैं. तो वहीं दूसरी ओर दोपहिया वाहन चलाने वालों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है. ऐसे में ईटीवी भारत ने पड़ताल कर ये जानने की कोशिश की, आखिर दुपहिया वाहन से चलने वाले लोग हेलमेट को लेकर कितने जागरूक हैं. और हर वर्ष हेलमेट न लगाने की वजह से दुर्घटना में अपनी जान गंवाने वाले लोगों की संख्या कितनी है, देखिए ईटीवी भारत की ये स्पेशल रिपोर्ट.
जानें कितना जरुरी है हेलमेट हेलमेट के प्रति लोग नहीं दिखा रहे रूचि
शहडोल जिला आदिवासी जिला है और यह जिला भी अब विकास के पथ पर आगे बढ़ रहा है. अब यहां भी दोपहिया वाहन चालकों की संख्या में दिनों दिन बढ़ोतरी हो रही है. ऐसे में कहा जाता है कि जो भी दोपहिया वाहन चलाए वो हेलमेट जरूर लगाएं, लेकिन लगता है ज्यादातर दोपहिया वाहन चालकों के लिए यह सिर्फ बातें ही हैं. आज भी अधिकतर दोपहिया वाहन चालक ऐसे हैं, जो बिना हेलमेट ही वाहन चलाना पसंद करते हैं. आज भी शहडोल जिले में दोपहिया वाहन चालकों में जागरूकता की भारी कमी देखने को मिल रही है, लोग अपनी जान को जोखिम में जरूर डाल लेंगे, लेकिन हेलमेट लगाना पसंद नहीं करेंगे.
ट्रैफिक पुलिस लोगों को कर रही जागरूक ये आंकड़े हैं डरावने
शहडोल जिले में साल 2020 के आंकड़ों पर नजर डालें तो साल 2020 में बिना हेलमेट वाले 8,922 प्रकरण दर्ज किए गए और उनसे 22,30,500 रुपए चालान भी वसूला गया. इसी आंकड़ों से अंदाजा लगाया जा सकता है कि इस छोटे से जिले में बिना हेलमेट वाले इतने ज्यादा प्रकरण और इतने ज्यादा चालान उन लोगों से वसूले गए बिना हेलमेट के दुपहिया वाहन चला रहे थे. वहीं दुर्घटनाओं पर नजर डालें तो साल 2020 में 597 एक्सीडेंट जिले में हुए हैं, जिसमें से 150 लोगों की मौत हुई है, तो वहीं 556 लोग घायल हुए हैं.
लोगों को हेलमेट लगाने के लिए होना होगा जागरूक हेलमेट को लेकर जानिए क्या बोले यातायात डीएसपी ?
जिले के यातायात डीएसपी अखिलेश तिवारी बताते हैं कि शहर के अंदर तो हेलमेट लगाकर चलने वालों की संख्या बिल्कुल न के बराबर है, और अधिकतर जो हमारे शहर से बाहर के रास्ते जाते हैं, उनकी चेकिंग जरुर होती है. हम हेलमेट लगाने के लिए लोगों को बाध्य भी करते हैं. आपको बता दें कि विगत 15 दिन के अंदर बुढ़ार रोड में यह चौथी घटना है जब खड़े ट्रक में मोटरसाइकिल वाले जा घुसे, जिससे उनकी मौके पर ही मौत हो गई. जिन लोगों की इस हादसे में मौत हुई, उनके सिर पर हेलमेट भी नहीं थे. अगर हेलमेट होता तो शायद उनकी जान बच जाती. सड़क सुरक्षा माह भी चल रहा है, जिसमें हम लोग जागरूक भी कर रहे हैं कि हेलमेट जरूर लगाएं अपने जीवन को सुरक्षित रखने के लिए हेलमेट की अनिवार्यता को समझें.
अभी जो हमारा 2020 का आंकड़ा है साल भर का देखें तो उसमें जितने प्रतिशत एक्सीडेंट से लोगों की मौत हुई है, उसमें तो 20 से 25 प्रतिशत ऐसे लोग हैं जिनकी हेलमेट न लगाने से मौत हुई है, वह किसी वाहन से टकराए नहीं है. कोई पेड़ से टकरा गया तो किसी की गाड़ी स्लिप हो गई. अगर वह हेलमेट लगाए होते तो शायद उनकी जान बच जाती. वहीं कम क्वालिटी के हेलमेट को लेकर यातायात डीएसपी का कहना है कि हेलमेट चेकिंग के लिए हम लोग अभियान छेड़ते हैं, तो उसमें यह तो चेक नहीं करते हैं कि हेलमेट कितना क्वालिटी वाला है लेकिन जब गाड़ी लोग खरीदते हैं तो रजिस्ट्रेशन के समय ही एजेंसी में यह बाध्यता कर दी गई है कि गाड़ी के साथ हेलमेट लेना ही पड़ेगा, इसमें एजेंसी वालों का दायित्व बनता है कि वो कस्टमर को अच्छे क्वालिटी का हेलमेट ही प्रदान करें.
हेलमेट को लेकर लोगों में जागरूकता की जरूरत
जिले के बड़े शो रूम संचालक राजेश गुप्ता हेलमेट को लेकर बताते हैं कि सामान्यता ग्राहकों में जो हेलमेट को लेकर एक धारणा है, वह महज एक औपचारिकता नजर आती है कि हेलमेट लेना है या नहीं लेना है. जबकि रजिस्ट्रेशन में यह नियम है कि हेलमेट लेना है, कई बार तो दबाव देना पड़ता है हेलमेट लेने के लिए, तब जाकर ग्राहक हेलमेट लेता है. ग्राहक जागरूक नहीं है किसी तरह से दबाव डालने पर वह हेलमेट तो खरीद लेते हैं, लेकिन उसकी जो भावना है मानसिकता है वह नकारात्मक है. हेलमेट के लिए लोगों को जागरूक करने की अभी बहुत जरूरत है.
हेलमेट खरीदते वक्त ये जरूर ध्यान दें
शोरूम संचालक राजेश गुप्ता हेलमेट की क्वालिटी को लेकर बताते हैं कि हेलमेट जब कभी भी आप खरीदें तो आई एस आई मार्क का ही लें, चाहे फिर वो जो भी मैंनुफैक्चर हो. आईएसआई नेशनल लेवल का मैन्युफैक्चर होता है, जिसमें आई एस आई मार्क होता है वो हेलमेट लें, सस्ता ना लें. वहीं 600 रुपये से कम है तो मान के चलिए की आई एस आई मार्क का हेलमेट नहीं है. साथ ही उन्होंने ग्राहकों को मार्गदर्शन भी देते हुए कहा कि हेलमेट आप अपनी रक्षा के लिए खरीद रहे हैं, ना कि पुलिस से बचने के लिए.
गौरतलब है कि शहडोल जिले में आज भी हेलमेट को लेकर काफी जागरूकता की जरूरत है कुछ लोगों को छोड़ दें, तो ज्यादातर लोग बिना हेलमेट के दुपहिया वाहन चलाते नजर आते हैं. पुलिस भले ही चालानी कार्रवाई कर दें, लेकिन अगली बार लोग उस चालानी कार्रवाई से बचते नजर जरूर आएंगे, लेकिन हेलमेट नहीं लगाएंगे. जबकि लोगों को यह समझना होगा कि हेलमेट दो पहिया वाहन चालकों की जिंदगी बचाता है. हेलमेट को सिर दर्द ना समझें, बल्कि उसे अपनी जान की रक्षा के लिए धारण करें क्योंकि हेलमेट आपकी सुरक्षा कवच है.