मध्य प्रदेश

madhya pradesh

ETV Bharat / state

Pitru Paksha 2022: जानिए पितृपक्ष में क्यों निकाला जाता है जीव-जतुओं के लिए खाना, क्या है मान्यता - पितृपक्ष में क्यों निकालते हैं जानवरों के लिए खाना

पितृपक्ष की शुरुआत 10 सितंबर से हो रही है, ऐसे में ज्योतिषाचार्य पंडित सुशील शास्त्री से जानिए कि क्यों श्राद्ध पक्ष में क्यों जीव-जतुओं के लिए खाना दिया जाता है और खाना देने के पीछे क्या मान्यता है. Pitru Paksha 2022

Pitru Paksha 2022
पितृपक्ष में क्यों निकालते हैं जानवरों के लिए खाना

By

Published : Sep 9, 2022, 11:02 PM IST

शहडोल। 10 सितंबर से पितृपक्ष की शुरुआत होने जा रही है, और इस दौरान पितरों का तर्पण किया जाता है और जो पूर्वज गुजर गए हैं उनकी शांति के लिए पूजा पाठ किए जाते हैं. पितृपक्ष में एक खास बात और है कि जिस दिन जिसकी जो तिथि पड़ती है, उस दिन भोजन में उड़द दाल का पकवान बनाना बहुत जरूरी रहता है और गाय, कुत्ता, कौआ और चींटी के लिए भोग निकालना आवश्यक होता है. आखिर जानते हैं ऐसा करना क्यों जरूरी होता है और इसका क्या महत्व है. Pitru Paksha 2022

पितृपक्ष में खाना खिलाने के पीछे मान्यता

10 सितम्बर से पितृपक्ष की शुरुआत:ज्योतिषाचार्य पंडित सुशील शास्त्री बताते हैं कि इस बार पितृपक्ष 10 सितम्बर पूर्णमासी के दिन शनिवार से प्रारंभ हो रहे हैं. इस दौरान 16 श्राद्ध होते हैं, जो पूर्णमासी से लेकर के अमावस्या के बीच होते हैं. जिन लोगों की मृत्यु हो चुकी होती है, उनके लिए पूर्णमासी से लेकर अमावस्या के बीच विशेष पूजा पाठ और तर्पण किया जाता है.

उड़द दाल का पकवान जरुरी:ज्योतिषाचार्य बताते हैं कि विशेष रूप से आपके पूर्वजों की मृत्यु जिस तिथि को हुई हो, उस दिन उड़द के दाल का पकवान अवश्य बनाएं. उस दिन पकवान बनाकर के थाली में सजाकर के चार पत्तल सामने रखें और सबसे पहले उसमें चार भोग लगाएं. एक गाय के लिए, एक कुत्ता के लिए, एक कौआ के लिये, और चौथा चींटी के लिए.

इस बार ऐसे करें पितरों का तर्पण, जानें श्राद्ध तिथियां, पौराणिक कथा, पूजा विधि और नियम

इसलिए निकाला जाता है जानवरों के लिए भोग:पितृपक्ष में गाय, कुत्ता, कौआ और चींटी के लिए भोग निकालने का कारण अलग- अलग है. गाय को भोग निकालने का कारण है कि यदि इंसान से किसी कारण के चलते या अनजाने में पाप हो गया हो तो वो जब वैतरणी नदी में पहुंचे, तो गाय उसे पार लगाए. कुत्ता को इसलिये भोजन दिया जाता है क्योंकि मान्यता है कि बैकुंठ के द्वार में कुत्ता रक्षक होता है, और जब इंसान वहां पर पहुंचे, तो कुत्ता परेशान न करें और उन्हें अंदर जाने दे. कौआ को भोजन देने की मान्यता है कि वैतरणी नदी के कुछ दूरी पर कौओं का निवास रहता है, वो इंसान को चोंच खाते हैं कि तूने पाप किया था, इसलिए किसी का ऋण लेकर के दिया नहीं है तो उसका ग्रास निकालकर के देने से कौआ भी प्रसन्न होते हैं. इसके अलावा चींटी और छोटे-छोटे जंतुओं को जो भोजन दिया जाता है उससे ये लाभ होता है कि जाने अंजाने कौन इंसान कैसे पुण्य करके किस योनि में आया है, हम सबको भोजन करा रहे हैं. उनकी आत्मा खुश हो और उस प्राणी को खूब आशीर्वाद दे.

ABOUT THE AUTHOR

...view details