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MP Shahdol निमोनिया से पीड़ित मासूम की गर्म सलाखों से दागने से मौत, कब्र से निकाला शव

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Published : Feb 4, 2023, 12:29 PM IST

शहडोल जिले के एक गांव में 3 माह की मासूम की मौत का मामला गर्मा गया है. इस बच्ची को इलाज के नाम पर गर्म सलाखों से दागा गया था. बाद में उसकी मेडिकल कॉलेज में मौत हो गई. इस मामले में जिला प्रशासन ने दावा किया था कि उसकी मौत निमोनिया से हुई है. जब मामला गर्माया तो बच्ची का शव कब्र से निकलवाया गया. अब उसका पोस्टमार्टम किया जा रहा है.

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निमोनिया से पीड़ित मासूम की गर्म सलाखों से दागने से मौत

शहडोल।शहडोल जिले में इलाज के नाम पर मासूम बच्ची को गर्म सलाखों से दागा गया. मेडिकल कॉलेज में इलाज के दौरान 3 महीने की इस मासूम बच्ची की मौत हो गई. मामला दो दिन पहले का है. इसके बाद प्रशासन ने दावा किया था कि बच्ची की मौत निमोनिया से हुई है, ना कि दागने से. लेकिन शनिवार को इस मामले में नया मोड़ आया है. प्रशासन ने उस मासूम बच्ची के शव को जमीन के अंदर से फिर से बाहर निकलवाया है. मामला शहडोल जिले के सिंहपुर अंतर्गत कठौतिया गांव का है.

निमोनिया से पीड़ित थी बच्ची :जिले के कठौतिया गांव में 3 माह की मासूम बच्ची दगना कुप्रथा का शिकार हो गई थी. बताया जा रहा है कि मासूम बच्ची जन्म के बाद से ही बीमार चल रही थी. निमोनिया और धड़कन तेज चलने की समस्या थी. परिजनों को इलाज की जगह दगना कुप्रथा पर ज्यादा भरोसा हुआ. परिजनों ने इलाज के नाम पर उस दुधमुंही बच्ची को गर्म सलाखों से दगवा दिया था. दगना कुप्रथा की शिकार मासूम बच्ची जिंदगी और मौत से जूझने लगी. बालिका की हालत जब ज्यादा बिगड़ने लगी तो परिजनों ने उसे आनन-फानन में शहडोल मेडिकल कॉलेज में कुछ दिन पहले भर्ती कराया.

मेडिकल कॉलेज में मौत :मेडिकल कॉलेज में शिशु रोग विभाग की टीम मासूम का इलाज किया. शुरुआत में तो उसकी हालत नाजुक थी लेकिन बीच में सुधार हुआ. लेकिन आखिर में उसकी जिंदगी को मेडिकल कॉलेज के विशेषज्ञों की टीम भी नहीं बचा सकी. शुक्रवार की शाम को प्रशासन ने उस मासूम बच्ची के शव को कब्र से बाहर निकलवाया. शव का पोस्टमार्टम शनिवार को कराया जाएगा. पीएम रिपोर्ट के बाद पता चलेगा कि आखिर बच्ची की मौत कैसे हुई है. बता दें कि मासूम की मौत के बाद शहडोल कलेक्टर वंदना वैद्य ने कहा था कि सिंहपुर में जिस बच्ची के दागने की घटना हुई थी. सीएमएचओ और जिला महिला बाल विकास अधिकारी लगातार उस बच्ची और उनके परिजन के संपर्क में थे.

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प्रशासन ने निमोनिया से बताई मौत :कलेक्टर ने दावा किया था कि उस बच्ची की मौत निमोनिया के कारण हुई है. यह बात सही है कि बच्ची को दागा गया था. दागना एक कुप्रथा है, जिसे समय-समय पर प्रशासन ग्रामीणों की काउंसलिंग करती है. आंगनबाड़ी कार्यकर्ता लगातार गांव-गांव जाकर माताओं को कह रही हैं कि कुछ भी हो जाए अगर बच्चा बीमार हो तो डॉक्टर को दिखाएं, ना कि बच्चों को दागें. अभी जिस बच्ची के साथ यह घटना हुई है, उसकी माता के साथ आंगनबाड़ी कार्यकर्ता ने दो बार गृह पंजी में लिखा है कि दो बार समझाइश दी जा चुकी है.

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