शहडोल।खेती किसानी में समय के साथ काफी बदलाव देखने को मिल रहे है. किसान पारंपरिक खेती से इतर आधुनिक खेती की ओर बढ़ने लगे है. जिससे वे अच्छा मुनाफा भी कमा रहे है. वहीं खेती में युवा किसान नए नए प्रयोग कर रहे हैं. शहडोल जिले में इन दिनों युवाओं के बीच में मशरूम की खेती का अच्छा खासा प्रचलन है और काफी उत्साह के साथ मशरूम की खेती कुछ युवा किसान यहां कर रहे हैं. मशरुम की डिमांड बढ़ने से इसकी खेती किसानों को नया बाजार दे रही है. और मालामाल भी कर रही है.
- मशरूम की खेती में युवा किसानों का रुझान
पिछले कुछ समय से शहडोल जिले में कई युवा किसान मशरूम की खेती काफी उत्साह के साथ कर रहे हैं और इससे अच्छा पैसा भी कमा रहे हैं. जिसे लेकर वह काफी खुश भी हैं और उन्हें देखकर कई युवा किसान मशरूम की खेती से जुड़ रहे हैं. जिला मुख्यालय से लगभग 25 से 30 किलोमीटर दूर भमरहा गांव के रहने वाले युवा किसान लालबाबू सिंह सेंगर अभी हाल ही में जनवरी महीने से मशरूम की खेती फिर से शुरू की है और अपने खेत में ही मशरूम का एक सेट तैयार किया है. जिसमें करीब 1040 बैग लगा कर रखे हैं. जिसमें वो मशरूम का उत्पादन करते हैं और उसे खुद बाजार में ले जाकर बेचते हैं. मशरूम की खेती को लेकर लालबाबू सिंह सेंगर बताते हैं कि वह खुद का कुछ काम करना चाह रहे थे और इसीलिए खेती में भाग्य आजमाया, शुरुआत में साल 2002 में पहली बार उन्होंने मशरूम की खेती करने का प्रयास किया था लेकिन उस समय उनको मशरूम का इतना ज्यादा मार्केट नहीं मिला था जिसके चलते उन्होंने मशरूम की खेती बंद कर दी थी और फिर नई तकनीक से बागवानी सब्जी की खेती में अपना भाग्य आजमाया, लेकिन उन्हें जितनी मेहनत पड़ रही थी और लागत लग रही थी उतना मुनाफा नहीं मिल रहा था इसलिए वो सब्जियों की खेती से ज्यादा खुश नहीं थे.
लालबाबू सिंह सेंगर बताते हैं कि पिछले कुछ समय से उन्होंने देखा कि उनके गांव में ही एक युवा किसान मशरूम की खेती कर रहा है और इन दिनों मशरूम की काफी डिमांड है लोगों के बीच में, जिसे देखकर उन्होंने एक बार फिर से अपना भाग्य आजमाया और मशरूम की खेती जनवरी महीने से ही फिर से शुरू कर दी, और इस बार मशरूम की खेती करके वो काफी खुश हैं लाल बाबू सिंह सेंगर कहते हैं कि अब तो लोगों के बीच में अच्छी खासी डिमांड है बाजार जाते ही उनका पूरा मशरूम बिक जाता है. उनके ग्राहक फिक्स हो चुके हैं और वह तो उनका इंतजार करते रहते हैं लालबाबू सिंह सेंगर कहते हैं कि वह भी कोशिश करते हैं कि ग्राहकों को असंतुष्ट ना होने दें और उनकी डिमांड को पूरी करते हैं यहां तक कि उनके मशरूम सेड को देखने के लिए भी जगह जगह से लोग पहुंचते हैं.
- फेसम हो गया 'भमरहा मशरूम फार्मिंग'
लालबाबू सिंह सेंगर कहते हैं कि महज दो-तीन महीने में ही वो पूरे शहडोल जिले में भमरहा मशरूम फार्मिंग वाले के नाम से पहचाने जाने लगे हैं. वे जहां जाते हैं लोग उन्हें भमरहा मशरूम के नाम से आवाज देने लगते हैं उनका डब्बा ही उनकी एक पहचान हो गई है. लालबाबू सिंह बाताते है कि हर दिन वह अपने मशरूम सेड से करीब 70 से 80 किलो तक मशरूम का उत्पादन करते हैं और बाजार में ले जाकर के शहडोल जिला मुख्यालय पर महज 3 घंटे शाम 5 बजे से 8 बजे तक ही अपनी दुकान लगाते हैं जितना बिक गया बिक गया नहीं बिका तो कोई दिक्कत नहीं मशरूम को लाकर सुखा देते हैं और सूखा मशरूम भी करीब 700 रुपए प्रति किलो बिकता है. उनका मानना है कि मशरूम की खेती में तो फायदा ही फायदा है क्योंकि उनका सामान भी बर्बाद नहीं होता है फसल का जितना उत्पादन होता है सब कुछ इस्तेमाल हो जाता है और अब तो लोगों के बीच में अच्छी डिमांड भी बढ़ गई है.
- कोरोनाकाल के बाद से और बढ़ी डिमांड
लालबाबू सिंह सेंगर कहते हैं कि कोरोना काल से इसकी और ज्यादा डिमांड लोगों के बीच बढ़ गई है, उसके बाद से मशरूम खरीदने वालों की संख्या लगातार बढ़ी है । कुल मिलाकर लाल बाबू सिंह सेंगर मशरूम की खेती करके काफी खुश हैं वह कहते हैं कि जितना फायदा उन्हें बागवानी की खेती से नहीं मिलता था महज थोड़ी सी जमीन पर थोड़ी सी मेहनत करके अलग तरह की खेती करके वह अच्छा खासा कमा ले रहे हैं.
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