सीहोर। नर्मदा नदी कि गोद में पर पली बड़ी कावेरी अब केनोइंग में देश की नंबर वन खिलाड़ी है. कावेरी का सिलेक्शन थाइलैंड के पटाया में होने वाले ओलंपिक क्वालिफायर व एशियन चैंपियनशिप के लिए हुआ है. कावेरी मूलतः नसरुल्लागंज तहसील के छोटे से गांव मंडी की रहने वाली है. बेरोजगारी के चलते उनके पिता खंडवा में रहने लगे और इंदिरा सागर बांध के बैकवाटर में मछली पकड़कर पने परिवार का पालन पोषण करने लगे. पिता की मदद करने बेटी कावेरी भी हाथ बटाया करती थी और धीरे-धीरे कावेरी भी नाव चलना सीख गई और आज मछली पकड़ने वाली कावेरी केनोइंग स्पर्धा में भारत की नंबर वन खिलाड़ी बन गई.
पानी में उतरी कावेरी और बन गई नंबर वन केनोइंग में कावेरी के हुनर का सिक्का ऐसा चमका कि उसने देश के नामी 18 खिलाड़ियों को पछाड़ दिया. जूनियर, सब जूनियर व सीनियर वर्ग के खिलाड़ियों को पछाड़ते हुए वह नंबर वन खिलाड़ी बन गई. पानी में तेज गति से नाव चलाने पर कावेरी का चयन थाइलैंड के पटाया में होने वाले ओलंपिक क्वालिफायर व एशियन चैंपियनशिप के लिए हुआ है.
ऐसे हुई शुरूआत
कावेरी 13 साल की थी तब उसका चयन 2016 में अकादमी में हुआ था. अकादमी में दाखिले के बाद 2017 में उसने सब जूनियर स्पर्धा में गोल्ड, 2018 में जूनियर व सब जूनियर में गोल्ड व 2019 में जूनियर व सीनियर स्पर्धा में गोल्ड मैडल हासिल किया था. बेहतर प्रदर्शन के चलते बीते दिनों उसने 28 से 30 दिसंबर को दिए ट्रायल में देश के नामी 18 जूनियर, सब जूनियर व सीनियर खिलाड़ियों को मात दी और मार्च में थाइलैंड के पटाया में होने वाले ओलंपिक क्वालिफायर व एशियन चैंपियनशिप के लिए चयनित हुई. मप्र वाटर स्पोर्ट्स अकादमी के अनुसार प्रदर्शन के आधार पर अभी कावेरी देश में नंबर-1 केनोइंग खिलाड़ी है.
प्रतियोगिता में पदक लेने के दौरान कावेरी पहले पायदान पर पिता के बिछाए जाल से मछलियां बीनती थी बेटियांपिता का 40 हजार रुपए का कर्ज उतारने के लिए बड़ी बहन मोनिका, स्वाति व कावेरी बैकवाटर में नाव चलाने लगीं और पिता की मदद करने लगीं पिता रात में जाल बिछाते और तीनों बहनें सुबह जाकर जाल से मछली निकालतीं और ठेकेदार को दें आती. ऐसा रोजाना कर उन्होंने पिता का कर्ज उतारने में मदद की.
ऐसे पहुंची मध्य प्रदेश वॉटर स्पोर्ट्स अकादमी कावेरी को स्पोर्ट्स अकादमी तक पहुंचाने में मिडिया की महत्वपूर्ण भूमिका रही. तत्कालीन खेल अधिकारी खंडवा कावेरी के गांव पहुंचे थे. उन्होंने पिता रणछोड़ से तीनों बहनों को भोपाल अकादमी में ट्रायल दिलाने के लिए मनाया. ट्रायल में सबसे बेहतर प्रदर्शन कावेरी का होने पर उसे 2016 में मप्र वाटर स्पोर्ट्स अकादमी में दाखिला मिल गया.
बैकवाटर में सीखी बोटिंग और बन गई एशिया की स्टारकावेरी ने गांव में इंदिरा सागर बांद के बैकवाटर से बोटिंग सीखकर विदेशी खेल कैनोइंग में महारथ हासिल कर ली है. मध्य प्रदेश का प्रतिनिधित्व करते हुए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाने वाली कावेरी ने सिर्फ 17 साल की उम्र में अपने देश का प्रतिनिधित्व करने जा रही है.