सागर। इन दिनों मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में भाजपा के कई सांसद और मंत्री विधानसभा चुनाव लड़ रहे हैं, तो दूसरी तरफ मोदी सरकार के केंद्रीय सामाजिक न्याय अधिकारिता मंत्री डॉ वीरेंद्र कुमार भी चुनाव मैदान में भाजपा की जीत के लिए दिन-रात मेहनत कर रहे हैं. इसी कड़ी में सागर में चुनाव प्रचार के दौरान केंद्रीय मंत्री डॉ वीरेंद्र कुमार ने ईटीवी भारत से खास बातचीत की. इस बातचीत में जहां उन्होंने भाजपा की फिर सरकार बनने का दावा किया, तो मुख्यमंत्री पद को लेकर अपनी दावेदारी पर खुलकर बातचीत की.
वहीं उन्होंने उनकी बेटी निवेदिता रत्नाकर के चुनाव लड़ने की दावेदारी को लेकर भी खुलकर जवाब दिए. आइए जानते हैं कि हमारे संवाददाता कपिल तिवारी से खास बातचीत में केंद्रीय मंत्री डॉ वीरेंद्र कुमार ने क्या कहा.
सवाल: चुनाव प्रचार के दौरान लगभग पूरे मध्य प्रदेश में अपने दौरा किया है. जनता का मूड क्या नजर आ रहा है ?
बुंदेलखंड सहित चाहे बघेलखंड, चंबल, महाकौशल, मालवा की बात हो प्रदेश की अधिकांश हिस्सों में मेरा जाना हुआ है. कार्यकर्ताओं, बुजुर्गों, माता, बहनों और युवाओं की बीच-बीच जाना हुआ है. जिस तरह पिछले 20 सालों से ही मध्य प्रदेश में विकास की धारा बही है, उसके साथ 9 साल से केंद्र की मोदी सरकार ने समाज के प्रत्येक वर्ग का ध्यान रखते हुए जो काम किए हैं, उसे आम मतदाता के मन में विश्वास और भी दृढ़ हुआ है कि भाजपा की सरकार आने के पहले मध्य प्रदेश में जिस तरह बिजली सड़क के क्षेत्र में बदहाली थी. भाजपा की सरकार आने पर बिजली और सड़क के क्षेत्र में काम हुआ है और केंद्र सरकार का भी सहयोग मिला है.
जनता हमारे काम का आकलन कर रही है और विकास का अनुभव कर रही है. चाहे वह खरगापुर, महाराजपुर और छतरपुर विधानसभा क्षेत्र के लोगों का कहना है कि आम या आदमी यही कहना है कि मध्य प्रदेश में जब से भाजपा की सरकार बनने जा रही है, जब आम आदमी का विश्वास सरकार के साथ जुड़ता है तो उससे अच्छा काम करने वाले नेतृत्व को भी मजबूती मिलती है.
सवाल: विधानसभा चुनाव में ऐसी स्थिति क्यों बनी कि केंद्रीय मंत्रियों को चुनाव लड़ना पड़ा. आपकी भी विधानसभा से चुनाव लड़ने की चर्चा थी. क्या 20 साल में इतनी ज्यादा सत्ता विरोधी लहर हो गई है कि केंद्रीय नेताओं को चुनाव मैदान में उतरना पड़ा ?
जवाब: भाजपा कार्यकर्ताओं पर आधारित पार्टी है. चाहे जिले का पदाधिकारी हो, स्थानीय पदाधिकारी हो, सांसद और विधायक हो, लेकिन वह पहले कार्यकर्ता और विधायक है. सांसद मंत्री बाद में होता है. कार्यकर्ता होने के नाते संगठन द्वारा निर्णय लिया जाता है, तो हम सब लोग संगठन का काम करने में जुट जाते हैं. यह भाजपा में ही देखने को मिलता है कि आज कितनी बड़ी संख्या में भाजपा के पास हर क्षेत्र में काम करने वाले कार्यकर्ता हैं. विपक्ष के पास ना नेता है, ना कार्यकर्ता है. जबकि भाजपा के पास कमी नहीं है.