शीतलहर से भगवान भी नहीं अछूते, रामराजा दरबार में भगवान को ठंड से बचाने जलाई जा रही सिगड़ी - भगवान को ठंड से बचाने सिगड़ी जलाई गई
God Felt Cold In Vrindavan Temple Of Sagar: एमपी में इन दिनों हाड़ कंपा देने वाली ठंड पड़ रही है. शीतलहर के प्रकोप से इंसान तो ठीक भगवान भी नहीं बच पाए हैं. सागर में जिले में स्थापित रामराजा दरबार में भगवान के लिए गर्म कपड़ों और रजाई के बाद सिगड़ी जलाई जा रही है.
सागर।पूरे मध्य प्रदेश में इन दिनों शीतलहर का प्रकोप देखने मिल रहा है. खासकर बुंदेलखंड में जमकर असर देखने मिल रहा है. लगातार तापमान में गिरावट और ठंडी हवाओं के चलते जनजीवन प्रभावित हुआ है. लोग सर्दी से बचने के लिए भारी भरकम गरम कपड़ों के अलावा हीटर, सिगड़ी और अलाव जलाकर ठंड भगाने की कोशिश कर रहे हैं. बुंदेलखंड की सर्दी का प्रकोप इतना बढ़ गया है कि भगवान राम को भी ठंड से बचाने के लिए सिगड़ी जलाना पड़ रही है. शहर के प्रसिद्ध श्री वृंदावन बाग मंदिर में भगवान राम को सर्दी से बचाने के बाकायदा गरम कपड़े पहनाने के साथ सिगड़ी जलाई जा रही है.
हालांकि ये 270 साल से परम्परा चली आ रही है. खास बात है कि मंदिर में रामराज दरबार में ही विशेष रूप से सिगड़ी जलाई जाती है. जबकि यहां जगन्नाथ स्वामी, श्री कृष्ण और विट्ठल भगवान का भी दरबार है.
पिछले 270 से चली आ रही परंपरा: सागर के वृंदावन बाग मंदिर मठ में स्थित रामराज दरबार में भगवान रामलला को सर्दी से बचने के लिए सिगड़ी जलाए जाने की परंपरा लगातार चली आ रही है. ये परंपरा आज की नहीं बल्कि 270 साल पुरानी है. 270 साल पहले से भगवान रामलला को सर्दी से बचाने के लिए अखंड धूना की अग्नि से सिगड़ी जलाने की परंपरा चली आ रही है. इसी अखंड धूना की अग्नि से भगवान का भोग भी बनाया जाता है. मंदिर में विशेष तौर पर रामराजा दरबार के सामने सिगड़ी जलाए जाने की परंपरा है.
रामराजा दरबार
इसके अलावा रामलला को सर्दियों में गर्म कपड़े भी धारण कराए जाते हैं और जब रामलला का शयन का वक्त होता है, तो उन्हें रजाई भी ओढ़ाई जाती है. महंत नरहरि दास का कहना है कि यहां भगवान को भक्त वात्सल्य भाव से देखते हैं और उसी भाव से उनकी सेवा करते हैं. इसीलिए सर्दी में ठंड से बचने के लिए सिगड़ी जलाई जाती है.
प्राचीनतम मठ परम्परा का निर्वहन: श्री वृंदावन बाग मंदिर मठ के मह़ंत नरहरी दास बताते हैं कि यहां प्राचीनतम मठ परंपरा का निर्वहन किया जा रहा है. यहां पर अग्नि देव प्रत्यक्ष देव के रूप में माने जाते हैं. मठ और मंदिर की सदियों पुरानी परंपरा अखंड धूना जलाने की परंपरा चली आ रही है. यहीं से भगवान की रसोई की अग्नि प्रज्वलित होती है और सर्दी के दिनों में रामलला के लिए सिगड़ी भी यहीं से जलाते हैं. अग्नि देव पंचतत्व में प्रधान तत्व है. इसके अलावा परंपरा के निर्वहन के साथ संतों और भक्तों का भगवान राम लाल के लिए वात्सल्य भाव है.
राज दरबारी राम मंदिर के रूप में राजाराम दरबार: ये उत्तर भारत का इकलौता ऐसा मठ है. जहां भगवान रामराज दरबारी मंदिर स्थित है. इसकी स्थापना 1748 में महंत गूणन दास महाराज ने की थी और वर्तमान में दसवें महंत नरहरी दास मंदिर की व्यवस्था देख रहे हैं. वैसे तो मंदिर में चार दरबार हैं, लेकिन प्रमुख दरबार राज दरबार राम मंदिर है. जहां भगवान राम अपने भाइयों के साथ विराजमान हैं. उनके और उनके भाइयों के साथ रानी के रूप में उनकी पत्नियां भी विराजमान हैं. भगवान राम के भक्त हनुमान उत्तर और दक्षिण में विराजमान हैं. इसके अलावा श्री वृंदावन बाग मंदिर में दूसरा दरबार भगवान जगन्नाथ स्वामी, तीसरा दरबार भगवान कृष्ण और चौथा दरबार भगवान विट्ठल का है.