सागर।शहर के वृंदावन कहलाने वाले सर्राफा बाजार में भगवान श्री कृष्ण के छोटे बड़े 32 मंदिर मौजूद हैं, इसलिए यहां कृष्ण भक्ति की अनूठी परम्परा है. बिहारी जी के मंदिर की खास परम्परा है कि पिछले करीब डेढ सौ सालों से बिहारी जी के मंदिर के सामने बनी रिछारिया की छोटी सी मिठाई की दुकान से भोग आता है. परिवार की पांचवी पीढ़ी इस परम्परा को आज भी निभा रही है.
भगवान ने खुद आकर दिए दर्शन: कहा जाता है कि एक बार ठाकुर जी को भोग में देरी हो गयी, तो ठाकुर जी खुद रिछारिया की दुकान पर मिठाई लेने पहुंच गए और उसके एवज में उनको एक अंगूठी दी. सुबह जब श्रृद्धालु मंदिर पहुंचे, तो सबने देखा कि ठाकुर जी के सामने भोग रखा था और उनकी अंगूठी गायब थी. जब मिठाई वाले रिछारिया को ये बात पता चला तो वो अंगूठी लेकर मंहत के पास पहुंचे और पूरा वाक्या बताया, तो महंत ने उन्हे गले लगा लिया और कहा कि बिहारी जी ने खुद तुम्हें दर्शन दिए हैं, तब से रिछारिया परिवार बिहारी जी के मंदिर में भोग भेजता है.
क्या है बिहारी जी मंदिर की भोग की परम्परा:बिहारी जी मंदिर की भोग की परम्परा की बात करे, तो पिछले डेढ़ सौ साल से मंदिर के सामने बनी रिछारिया की मिठाई की दुकान से भोग जाता है. खास बात ये है कि इस परम्परा को निभाने के लिए रिछारिया परिवार आज भी विधि विधान से भोग तैयार करता है. भोग की इस परम्परा के पीछे अनूठी कहानी है. राजकुमार रिछारिया बताते हैं कि ''पहले पंडित गणेश प्रसाद रिछारिया की बिहारी जी मंदिर के सामने मिठाई की छोटी सी दुकान थी, जो आज भी मौजूद है. एक बार बिहारी जी को भोग नहीं पहुंचा, तो 12 बजे करीब बिहारी जी मारवाडी के वेष में रिछारिया की दुकान पर पहुंचे और बोले की हमें एक किलो मिठाई दो. हमारी दादी के दादा ने उन्हें एक किलो गुजिया दी.''