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परिजनों से प्लास्टर कटवाने के दोषियों को बचा रहा प्रबंधन, युवा कांग्रेस ने किया BMC का घेराव - अस्पताल अधीक्षक एसके पिप्पल

बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज (Bundelkhand Medical College) के हड्डी रोग विभाग में देखने से पहले डॉक्टर ने तीमारदार को प्लास्टर काटने की शर्त रखी थी, जिसके बाद बच्ची के पिता ने अस्पताल में ही खुद से प्लास्टर काटा (Attender Cutted Patient Plaster) था, जिस पर कार्रवाई करने की बजाय प्रबंधन आरोपियों को ही बचाने में लगा है, जिस पर युवा कांग्रेस ने बीएमसी का घेराव किया.

Congress protest for action on Bundelkhand Medical College staff
युवा कांग्रेस ने बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज का किया घेराव

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Published : Nov 25, 2021, 10:52 AM IST

सागर। पिछले दिनों बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज के हड्डी रोग विभाग में इलाज कराने गई 2 साल की बच्ची के पैर में बंधा प्लास्टर उसके परिजनों से ही कटवाये जाने (Attender Cutted Patient Plaster) का मामला सामने आया था, जिसको लेकर बीएमसी प्रबंधन ने जांच की बात कही थी और दोषियों पर कार्रवाई का आश्वासन दिया था. बीएमसी प्रबंधन इस मामले में अभी तक कोई कदम नहीं उठाया है. इस मामले में सियासत ने जोर पकड़ लिया है, इन्हीं अनियमितताओं को लेकर आज मध्यप्रदेश युवक कांग्रेस की सागर इकाई बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज में प्रदर्शन कर नारेबाजी की. वहीं दूसरी तरफ अस्पताल प्रबंधन ही दषियों को बचाने में जुटा है.

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युवा कांग्रेस ने किया BMC में प्रदर्शन

सागर युवा कांग्रेस जिला उपाध्यक्ष निखिल चौकसे के नेतृत्व में युवा कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज (Bundelkhand Medical College) का घेराव कर अस्पताल प्रबंधक डॉक्टर पिप्पल के खिलाफ नारेबाजी की और मांग पत्र सौंपा. युवा कांग्रेस का आरोप है कि कर्मचारियों और प्रबंधन की लापरवाही के लिए मशहूर हो चुके बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज में अनियमितताएं सामने आती ही रहती हैं. इसके पहले एक प्रसूतिका की दीपावली के दिन ही मौत हो गई थी और ड्यूटी पर तैनात स्टाफ अस्पताल में ही पटाखे फोड़ रहे थे.

बीमार BMC खो रहा विश्वसनीयता

बीएमसी (Bundelkhand Medical College) में प्रशासनिक कार्रवाई के अभाव में व्यवस्थाएं सुधरने का नाम नहीं ले रहीं है, इन्हीं अव्यवस्थाओं को लेकर युवा कांग्रेस ने कर्मचारियों के खिलाफ जल्द से जल्द कार्रवाई की मांग की है, साथ ही मेडिकल कॉलेज में नर्सिंग स्टाफ की कमी दूर करने और दवाई सहित जांच वितरण केंद्रों की संख्या और समय बढ़ाने की मांग भी की है. अस्पताल अपनी विश्वसनीयता खोता जा रहा है, लेकिन जिला प्रशासन और अस्पताल प्रबंधन चिंता मुक्त है.

जांच के नाम पर लीपापोती

घटना सामने आते ही अस्पताल अधीक्षक एसके पिप्पल ने जांच की बात कही थी, लेकिन अस्पताल प्रबंधन से जुड़े सूत्रों की मानें तो अस्पताल प्रबंधन दोषियों को बचाने में जुटा हुआ है. अस्पताल प्रबंधन ये मानकर चल रहा है कि मरीज के परिजन ने किसी डॉक्टर या मेडिकल स्टाफ के कहने पर नहीं, बल्कि खुद ही प्लास्टर काटने का काम किया था.

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