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फिर आसमान में ऊंची उड़ान भरेंगे गिद्ध: जान बचाएगा मिशन जटायु, रीवा वन विभाग ने शुरु की पहल

पृथ्वी के सफाईकर्मी कहे जाने वाले गिद्ध फिर आसमान में ऊंची उड़ानें भरते दिखाई देंगे. दरअसल रीवा वन विभाग की टीम ने गिद्धों को बचाने के लिए मिशन जटायु शुरू किया है, जो गिद्धों की जान बचाएगा.

jatayu campaign to save vultures
मिशन जटायु बचाएगा गिद्धों की जान

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Dec 22, 2023, 12:25 PM IST

गिद्धों की जान बचाएगा मिशन जटायु

रीवा।गिद्धों की जान बचाने के लिए वन विभाग का अमला अब मैदान पर उतर चुका है, इसके लिए वन विभाग के द्वारा बकायदा जटायु संरक्षण अभियान चलाया जा रहा है. धीरे-धीरे कर विलुप्त होती जा रही गिद्धों की प्रजाति के लिए इस सरहनीय पहल की शुरुआत की गई है, इसके लिए वन विभाग के अधिकारीयों ने जानवरों पर उपयोग की जानें वाली प्रतिबंधित दवाइयों पर प्रतिबंध लगा दिया हैक्योंकि प्रतिबंधित दवाइयों के कारण अक्सर गिद्धों की मौत हो जाती है.

रीवा में वन विभाग की पहल शुरु:प्रतिबंधित दवाइयो पर रोक लगाने के लिए वन विभाग का अमला दवा दुकानों, अस्पतालों पर पहुंचकर उनके उपयोग से दूरी बनाने की सलाह दे रहा है. ज्ञात हो कि कुछ दशक पहले तक यदि गांव या आसपास के सूनसान इलाके में यदि कोई जानवर मृत होता था तो उसके मृत शरीर के आसपास गिद्धो का झुंड मंडराने लगता था और गिद्धों की भीड़ लग जाती थी लेकिन अब वहीं गिद्ध विलुप्तप्राय होने की कगार पर है. जिनके सरक्षण के लिए अब रीवा में वन अमले की टीम ने एक सराहनीय पहल की शुरुआत की है.

विलुप्त होने की कगार पर है गिद्ध:गिद्धों के विलुप्त होने की वजह भी इंसान ही है. कुछ ऐसी प्रतिबंधित दवाइयां का उपयोग इंसानों ने शुरू कर दिया, जिसे खाने से गिद्धों की मौत होने लगी. क्योंकि इन प्रतिबंधित दवाइयों का सेवन लोग अपने पालतू के लिए किया करते हैं. पालतू जानवर को यह दवा खिलाई जानें लगी, बाद में जब इन पालतू जानवरों की आकस्मिक मौत होती और यही गिद्ध जब उनके शरीर को खाने के लिए आते थे और उसका सेवन करते थे. मृत जानवर के शरीर में प्रतिबंधित दवाइयों का असर रहता था, जिसके सेवन से अक्सर गिद्धों की मौत हो जाती थी.

अन्य जानवरों को दी जाती है प्रतिबंधित दवाइयां:भारत सरकार ने इन दवाइयों पर प्रतिबंध लगा दिया है, लेकिन कुछ लोगों के द्वारा अब भी इन प्रतिबंधित दवाइयों का इस्तेमाल धडल्ले से किया जा रहा है. कई लोग चोरी छुपे अब भी इनका उपयोग कर रहे हैं, यही वजह है कि वन विभाग ने इन घातक दवाइयों के उपयोग पर रोक लगाने के लिए डीएफओ ने जटायु अभियान की शुरुआत की है. इस अभियान में वन मंडल अंतर्गत आने वाले सभी रेंज अफसर और कर्मचारियों को अभियान से जोड़ा गया है, वन विभाग की टीम अस्पताल, गांव और दवा दुकानों पर पहुंचकर लोगों को इन प्रतिबंधित दवाइयां के उपयोग से दूरी बनाने की सलाह दे रही है.

वन विभाग का प्रयास रहा सफल तो फिर लौटेगा गिद्धों का अस्तित्व:वन विभाग का यह अभियान काफी सराहनीय है, रीवा में कई क्षेत्र ऐसे हैं जहां गिद्धों की संख्या बढ़ रही है. यदि वन विभाग का यह प्रयास सफल रहा तो आने वाले दिनों में विलुप्त होती जा रही गिद्धों की प्रजाति दोबारा से हमें नजर आने लगेगी.

मुर्दाखोर पक्षी होते हैं गिद्ध पृथ्वी के सफाईकर्मी का निभाते है रोल:गिद्ध मुर्दाखोर पक्षी होते हैं, जो सड़े गले मांस को खाते हैं. इसमें असंख्य घातक जीवाणु होते हैं, इस तरह गिद्ध प्रकृति के एक बड़े सफाईकर्मी भी कहलाते हैं. ये जहां मौजूद होते हैं, वहां के पारिस्थिति की तंत्र को स्वच्छ व स्वस्थ करते हैं. परंतु बीते कुछ दशकों में गिद्धों की संख्या काफी हद तक कम हुई है, इसके प्रमुख कारणों में से एक डाइक्लोफेनेक दवा का मवेशी के उपचार हेतु उपयोग है. उपचारित बीमार मवेशी के मरने के बाद, जब गिद्ध उसके मांस को खाते हैं, तो यह दवा गिद्ध के गुर्दों को खराब कर देती है, जिससे कुछ ही दिनों में गिद्ध की मृत्यु हो जाती है.

भारत सरकार ने दवाइयों पर लगाया था प्रतिबंध:भारत सरकार ने वर्ष 2008 में डाइक्लोफेनेक का जानवरो मवेशी के उपचार हेतु उपयोग प्रतिबंधित एवं किया था. इसी वर्ष इस तरह की हानिकारक दवाओं का भी जानवरों और मवेशीयो के उपचार के लिए उपयोग प्रतिबंधित किया गया है. इनके अलावा नीमूस्लाइड प्रतिबंधित तो नहीं है, पर गिद्धों के लिए हानिकारक है. परंतु अज्ञानतावश कई लोग अभी भी इन दवाओं का उपयोग कर रहे हैं, इन हानिकारक दवाओं के बारे में संबंधितों को जागरूक करने के लिए रीवा वन विभाग ने जटायु संरक्षण अभियान की शुरुआत की है.

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