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सफेद बाघिन गोपी की मौत पर बोले राजेंद्र शुक्ला, कहा- पीले बाघों की तुलना में कम होती है इनकी उम्र

पूर्व मंत्री राजेंद्र शुक्ला ने सफेद बाघ की मौत पर शोक संवेदना व्यक्त करते हुए कहा कि अमूमन सफेद बाघों की उम्र 8 से 10 वर्ष की होती है, तो उसकी मृत्यु का एक कारण यह भी माना जा सकता है.

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Published : Dec 26, 2020, 1:52 AM IST

Rajendra Shukla said on death of white tigress Gopi
महाराजा मार्तंड सिंह जूदेव व्हाइट टाइगर सफारी मुकुंदपुर

रीवा। महाराजा मार्तंड सिंह जूदेव व्हाइट टाइगर सफारी मुकुंदपुर में बीते दिनों जू प्रबंधन की लापरवाही के चलते हुई गोपी नाम की सफेद बाघिन की मौत पर अब जांच टीम का गठन किया गया है. इसके बाद जांच टीम के द्वारा जू प्रबंधन की लापरवाही पर कार्रवाई की बात की जा रही है. वहीं मामले पर पूर्व मंत्री राजेंद्र शुक्ल ने भी कार्रवाई का भरोसा जताया है.

सफेद बाघिन गोपी की मौत पर बोले राजेंद्र शुक्ला

वर्ष 2016 में लाये गए थे सफेद शेर

मुकुंदपुर व्हाइट टाइगर सफारी में साल 2016 को सफेद शेर रघु और राधा को लाया गया था. जिसके बाद बाद दो अन्य सफेद शेर जू में रखे गए. जिनकी देखरेख की जिम्मेदारी जू प्रबंधन को सौंपी गई तथा उनके भोजन सहित अन्य व्यवस्थाओं को लेकर प्रशासन के द्वारा निगरानी किए जाने का भरोसा जताया गया.

बीते दिनों प्रबंधन की लापरवाही के चलते एक सफेद बाघिन गोपी की मौत हो गई, जिसके बाद अब बाघिन के मौत के कारणों का पता लगाने के लिए टीम का गठन किया गया है. सफेद बाघिन की मृत्यु के बाद जांच के लिए जबलपुर से टीम आई जिसने सफेद बाघ की मौत के कारणों का पता लगाया तथा अब टीम के द्वारा कार्रवाई किए जाने का भरोसा जताया जा रहा है.

सफेद बाघिन के मौत पर पूर्व मंत्री ने जताई चिंता

सफेद बाघिन की मौत के मामले को लेकर पूर्व मंत्री राजेंद्र शुक्ला ने भी कहा है कि दोषियों पर कार्रवाई की जाएगी. पूर्व मंत्री राजेंद्र शुक्ला ने सफेद बाघ की मौत पर शोक संवेदना व्यक्त करते हुए कहा कि अमूमन सफेद बाघों की उम्र 8 से 10 वर्ष की होती है, तो उसकी मृत्यु का एक कारण यह भी माना जा सकता है.

सफेद बाघिन

महाराजा मार्तण्ड सिंह ने जंगलों से पकड़ा था सफेद शेर

बता दें सफेद बाघों की उत्पत्ति रीवा से ही हुई थी. स्व. महाराजा मार्तण्ड सिंह के द्वारा पकड़े गए पहले व्हाइट टाइगर का नाम मोहन रखा गया था और आज उसी मोहन के वंशज विश्व भर में है. महाराजा मार्तंड सिंह जूदेव ने रीवा के जंगल से सफेद बाघ को पकड़ा था. रीवा में लगातार उनका कुनबा भी बढ़ और वह देश एवं विदेश के चिड़ियाघरो में भेजे गए.

अब यह बात किसी को हजम नहीं हो रही है कि जब आधुनिक संसाधन यहां पर कम थे. तब बाघो का संरक्षण अच्छे तरीके से हो रहा था. परंतु अब संसाधन आधुनिक हो गए ऐसे में बाघों को बचा पाना पशु चिकित्सकों के लिए क्यों भारी पड़ रहा है.

विंध्य से दुनिया भर में पहुंचे सफेद शेर

दुनिया भर को सफेद शेर देने का श्रेय भले ही विंध्य की धरती को रहा हो, लेकिन कई वर्ष पूर्व पकड़े गए विश्व के पहले सफेद बाघ का दीदार यहां के लोगो को कई दसको तक न हो सका. लेकिन वर्ष 2016 में व्हाइट टाइगर सफारी बनने के बाद जब मोहन के वंसज रघु और राधा को रीवा लाया गया तब ऐसा लगा जैसे एक बार फिर से रघु और राधा के रूप विंध्य वाशियो को मोहन मिल गया हो. लेकिन सफेद बाघो की लगातार हो रही मौत अब चिंता का विषय बन गया.

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