रीवा। संभागायुक्त ने टीआरएस कॉलेज के प्राचार्य रामलला शुक्ल के विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई करने के लिए उच्च शिक्षा विभाग के आयुक्त को पत्र लिखा है. बता दें कि, पूर्व में सामाजिक कार्यकर्ता बीके माल ने संभागायुक्त रीवा से शिकायत की गई थी कि, ठाकुर रणमत सिंह महाविद्यालय द्वारा मनाया जा रहा 150वां स्थापना दिवस मौजूद अभिलेखों के अनुसार गलत है. महाविद्यालय के स्थापना हुए 137 वर्ष हुए हैं, हालांकि प्राचार्य द्वारा 150वें स्थापना दिवस के कार्यक्रम के लिए राष्ट्रपति को भी आमंत्रित किया गया था.
संभागायुक्त ने टीआरएस कॉलेज के प्राचार्य विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाई के लिए उच्च शिक्षा विभाग के आयुक्त को लिखा पत्र दरअसल, तीन माह पूर्व टीआरएस कॉलेज का 150वां स्थापना दिवस मनाया जाना था. जिसको लेकर कॉलेज के प्राचार्य द्वारा महामहिम राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद सहित प्रदेश के मुख्यमंत्री व राज्यपाल को आमंत्रण पत्र भेजा गया था, जिसको लेकर सामाजिक कार्यकर्ता बीके माल ने संभागायुक्त को ज्ञापन देकर मांग उठाई थी कि, टीआरएस कालेज में 150वां स्थापना वर्ष मनाए जाने की तैयारी की जा रही है. इसके लिए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को भी आमंत्रण भेजा गया है. ऐसे में राष्ट्रपति जैसी शख्सियत को बुलाने के कार्यक्रम में कालेज प्राचार्य की ओर से मनमानी की जा रही है.
शिकायत में यह आरोप लगाया गया है कि, 1882-83 में इस महाविद्यालय की स्थापना की गई थी. जिसमें तत्कालीन मुख्यमंत्री सहित कई प्रमुख हस्तियों को बुलाया गया था. इसलिए सवाल उठाया गया है कि, 1882-83 लेकर अब तक केवल 137 वर्ष ही पूर्ण हुए हैं. जबकि प्राचार्य द्वारा महामहिम राष्ट्रपति सहित मुख्यमंत्री व राज्यपाल को 150वां स्थापना दिवस मनाए जाने का निमंत्रण पत्र प्रस्तुत किया गया है.
शिकायतकर्ता बीके माल द्वारा प्रस्तुत तथ्यों के अनुसार ठाकुर रणमत सिंह महाविद्यालय का स्थापना वर्ष-1882 होने तथा शताब्दी वर्ष-1982-83 में मनाये जाने के अभिलेख प्रस्तुत किये गये हैं. जिसके अनुसार वर्तमान मे महाविद्यालय की स्थापना अवधि 137 वर्ष होती है. पूरे मामले की कलेक्टर रीवा बसंत कुर्रे द्वारा की गई जांच मे शिकायत कर्ता की शिकायत सही पाई गई.
समारोह आयोजित किये जाने के संबंध में आयुक्त उच्च शिक्षा मप्र भोपाल से अनुमति भी प्राप्त नहीं की गई है. प्राचार्य द्वारा जिला प्रशासन को भी इस कार्यक्रम के बारे मे अवगत नहीं कराया गया था. स्वयं उनके द्वारा उच्च स्तर से पत्राचार किया गया, जो कि अवांक्षनीय है, जिस पर प्राचार्य के विरुद्ध कठोर कार्रवाई करने के लिए आयुक्त भोपाल को पत्र लिखा गया है.