रतलाम। रतलाम जिले के सिमलावदा गांव के ग्रामीणों ने लॉकडाउन के दौरान गांव में सार्वजनिक मुक्तिधाम को नया रूप दिया है. लॉकडाउन शुरू होने के बाद अपनी कृषि कार्यों से फ्री होकर घर बैठे मुक्तिधाम समिति के सदस्यों ने गांव में सार्वजनिक मुक्तिधाम को नया रूप देने और सौंदर्यीकरण करने का निर्णय लिया. जिसके बाद लोगों ने श्रमदान करने की अपील की.
ग्रामीणों ने मुक्तिधाम को दिया नया रूप मुक्तिधाम के लिए 9 लाख किये जमा
ग्रामीणों ने इस मुहिम को खुलकर सहयोग दिया और देखते ही देखते 9 लाख की राशि इकट्ठा हो गई. गांव के ही ट्रैक्टर और जेसीबी की मदद से मुक्तिधाम का समतलीकरण किया गया. जिसके बाद गंदगी और कटीली झाड़ियों से घिरा रहने वाला मुक्तिधाम अब किसी सुंदर बगीचे की तरह दिखाई देने लगा है. यहां बैठने के लिए 108 सीमेंट की कुर्सियों की व्यवस्था भी गांव के लोगों ने जन सहयोग की मदद से की है.
यही नहीं ग्रामीणों ने श्रमदान कर छायादार पेड़ लगाने के लिए एक हजार गड्ढे भी तैयार कर दिए हैं. जिनमें बारिश के दौरान वृक्षारोपण भी किया जा सकेगा.
सार्वजनिक मुक्तिधाम का नया रूप
गांव के शंभू सिंह राजपूत का कहना है कि उनके पिता के अंतिम संस्कार के दौरान बाहर से आए लोगों ने इतने बड़े गांव में बेहतर मुक्तिधाम नहीं होने की बात लोगों से कही थी. जिसके बाद गांव के लोगों ने निर्णय लिया की गांव में एक व्यवस्थित मुक्तिधाम बनाया जाए. इस दौरान कोरोना संक्रमण के चलते देशभर में लॉकडाउन लगा दिया गया. गांव के लोगों ने इसी लॉकडाउन को अवसर में बदलते हुए समय का सदुपयोग कर एक सुंदर मुक्तिधाम का निर्माण कर लिया है.
बहरहाल, बिना किसी सरकारी मदद के गांव के लोगों ने जनभागीदारी से मुक्तिधाम का निर्माण कर अन्य लोगों के सामने भी मिसाल पेश की है. वहीं आपदा को अवसर में बदलते हुए गांव में निर्माण कार्यों से जुड़े मजदूरों को रोजगार उपलब्ध करवाने का भी कार्य किया है.