पन्ना। मंदिरों की पवित्र नगरी पन्ना में कई ऐतिहासिक और सुंदर मंदिर हैं. जिले में अलग-अलग मंदिरों की अलग-अलग परंपरा है. ऐसी ही एक अनोखी परंपरा है जगदीश स्वामी मंदिर की, जहां आज यह परंपरा अनोखे अंदाज में निभाई गई. दरअसल, भगवान जगन्नाथ की बारात के बाद पुरातत्व संग्रहालय के पास बने भगवान जगन्नाथ के सबसे प्राचीन मंदिर में भोग चढ़ाया गया. उसके बाद कढ़ी-चावल के विशाल भंडारे के साथ रथयात्रा महोत्सव का समापन किया गया.
170 साल पुरानी परंपरा टूटने से बची, निकाली गई रथयात्रा
पन्ना में प्रति वर्ष हर्षोल्लास के साथ भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा निकाली जाती थी, लेकिन इस बार कोरोना वायरस के चलते श्रद्धालुओं के बिना रथयात्रा निकाली गई. हालांकि इस मौके पर कढ़ी-भात के विशाल भंडारे का आयोजन किया गया.
बुंदेलखंड में कहावत है कि 'जगन्नाथ के भात को जगत पसारे हाथ' पन्ना में भी जगदीश स्वामी मंदिर में बड़ी तादाद में भक्तों ने भंडारे में कढ़ी-भात का प्रसाद ग्रहण किया. लोगों ने बताया कि रथयात्रा के बाद भगवान बलदाऊ, महारानी सुभद्रा और भगवान जगन्नाथ को परंपरा के मुताबिक कढ़ी-भात का भोग लगाकर भक्तों को प्रसाद ग्रहण कराया गया. इसके अलावा मंदिर प्रांगण में भजन-कीर्तन का भी आयोजन किया गया. आकर्षण शृंगार के साथ भगवान जगदीश स्वामी को प्रसाद अर्पित किया गया.
उड़ीसा के पुरी के बाद पन्ना में भगवान जगदीश स्वामी की रथयात्रा महोत्सव बड़े ही धूमधाम के साथ मनाई जाती है, लेकिन हर साल की तरह मनाया जाने वाला यह महोत्सव कोरोना वायरस के चलते फीका पड़ गया. इस बार कोरोना वायरस के चलते बिना श्रद्धालुओं के साथ भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा निकाली गई थी. हालांकि 170 साल पुरानी परंपरा टूटने से बच गई, ऐसा माना जाता है कि अब साल भर श्रद्धालुओं को भगवान जगन्नाथ के दर्शन नहीं होंगे.