पन्ना। पन्ना की धरती के गर्भ में जहां हीरा जैसा रत्न मौजूद है, वहीं धरती के ऊपर कई मनोरम प्राकृतिक स्थल हैं, जिसे देखकर दिल खुश हो जाता है, ऐसा ही एक स्थल पन्ना जिला मुख्यालय से करीब 30 किमी दूर स्थित है, जिसे बृहस्पति कुण्ड के नाम से जाना जाता है, जो आजकल लोगों को खूब लुभा रहा है. वैसे तो बृहस्पति कुण्ड देखने के लिए हमेशा लोग पहुंचते रहते हैं, पर बारिश के दिनों में इस कुण्ड में चार चांद लग जाते हैं. यहां गिरने वाला विशाल झरना लोगों को मंत्रमुग्ध कर देता है. धार्मिक मान्यताओं के लिहाज से भी इस जगह का काफी महत्व है, माना जाता है कि भगवान श्रीराम यहां वनवास के दौरान ठहरे थे.
इस धरा को प्रकृति ने दिया है अनमोल खजाना, सरकारी अनदेखी के चलते नहीं मिल पा रही पहचान
पन्ना की धरती के गर्भ में भले ही हीरा जैसे रत्न मौजूद हैं, लेकिन पन्ना की धरती के ऊपरी सतह को भी प्रकृति ने अनमोल खजाने से नवाजा है, जो हर किसी को अपनी ओर आकर्षित करता है.
बता दें कि कुण्ड में नीचे जाने के लिये पत्थर की प्राकृतिक एवं मानव निर्मित सीढ़ियां हैं. कटाव के भीतरी किनारे के साथ-साथ 5-6 फीट चौड़े मजबूत चट्टानी मार्ग हैं, जो आगे जाकर सकरा होता जाता है. सतह पर बारिश के समय लबालब रहने वाला अतल कुण्ड है, जिसके साथ अबूझ सुरंग भी है, जिसके विषय में न जाने कितनी स्थानीय कथाएं एवं जनश्रुतियां हैं.
बृहस्पति कुण्ड आपने आप में ही प्राकृतिक खुबसूरती का जीता-जागता उदाहरण है, फिर भी मानसून टूरिज्म के रूप में विकसित करने की योजना वर्षों से ठण्डे बस्ते में पड़ी है. उदासीनता के चलते इन स्थानों को वह महत्व नहीं मिल पा रहा है, जिसका ये हकदार हैं. पन्ना के ये प्राकृतिक क्षेत्र दुनिया भर में पन्ना की अलग पहचान देने की काबिलियत रखते हैं.