मुरैना। ऐतिहासिक और पुरातात्विक संपदा की मुरैना में कमी नहीं है. यहां बहुत से ऐसे मॉन्युमेंट है जिनका एतिहासिक महत्व है. इसके बाद भी प्रशासन का इस ओर कोई ध्यान नहीं है. ऐसा ही एक शैव कालीन शिव मंदिर जिले की जौरा तहसील के ग्राम चांचुल में स्थित है.
16वीं सदी में अद्भुत नक्काशी से बना शैव कालीन मंदिर, पुरातत्व विभाग की अनदेखी से बदहाल
ऐतिहासिक और पुरातात्विक संपदा की मुरैना में कमी नहीं है. यहां बहुत से ऐसे मॉन्युमेंट है जिनका एतिहासिक महत्व है. इसके बाद भी प्रशासन का इस ओर कोई ध्यान नहीं है.
जौरा तहसील के ग्राम चांचुल में शैव संस्कृति को प्रदर्शित करने वाला 16वीं शताब्दी का एक मंदिर है, जो सेंड स्टोन से निर्मित है. इसे पुरातत्व विभाग द्वारा संरक्षित तो किया गया है, लेकिन उसकी देखभाल नहीं की गई. मंदिर की दीवारों में लगे पत्थरों पर कई मुद्राओं में देवी और देवताओं की प्रतिमा बनी हुई है जो टूटी हुई है.
16वीं शताब्दी का यह एतिहासिक शिव मंदिर बड़े-बड़े पत्थर की शिलाओं से निर्मित है. मंदिर की दीवारों, दरवाजों, खम्बों और छत की भीतरी और बाहरी सतह पर भी शानदार नक्काशी की गई है. इस नक्काशी से ही देवी-देवताओं की अनेक मुद्राओं में खूबसूरत प्रतिमा बनाई गई हैं, जो शैव और सनातन संस्कृति का इतिहास बताती हैं. एतिहासिक महत्व की इमारतों को सहेजने का काम पुरातत्व विभाग द्वरा किया जाना चाहिए, लेकिन विभाग इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रहा है.