मुरैना। लॉकडाउन में गरीब और मजदूरों की मदद करने की बात सरकार द्वारा लगातार कही जा रही है और उन्हें विभिन्न योजनाओं के माध्यम से हर संभव मदद करने का दावा भी सरकार कर रही है, लेकिन मुरैना जिले में बड़ी संख्या में ऐसे गरीब परिवार हैं, जिनके पास बीपीएल की पात्रता के साथ-साथ राशन कार्ड भी है, जबकि कुछ मजदूरों के पास श्रमिक कार्ड भी है, फिर भी उन्हें राशन नहीं मिलता है.
इसके पीछे का कारण ये है कि इन मजदूरों के राशन कार्ड तो जारी हुए हैं, लेकिन इनकी राशन वितरण संबंधी पात्रता पर्ची पोर्टल पर जनरेट नहीं हो रही. जिले की ग्राम पंचायत खैरा के 50 गरीब परिवार ऐसे हैं, जिनके पास बीपीएल कार्ड है या श्रम विभाग में पंजीकृत होने के बाद मिला मजदूरी कार्ड भी है. लेकिन उनको उचित मूल्य की दुकानों से राशन नहीं मिलता है.
कई बार शिकायतें करने के बाद भी अधिकारी सिर्फ दिलासा दिलाते रहते हैं, ये समस्या ग्राम पंचायत खैरा के गरीब परिवारों की ही नहीं है, बल्कि मुरैना जिले में पात्रता धारी 35000 राशन कार्ड ऐसे हैं, जिनकी पर्ची लंबे समय से जनरेट नहीं हो रही है. 20 फीसदी से अधिक राशन कार्ड धारी ऐसे भी हैं, जिन्हें ऑनलाइन पोर्टल बनने से पहले राशन मिलता था, लेकिन बाद में पोर्टल से इनकी पर्ची ही जारी नहीं हो पा रही है.
मुरैना जिले में जितने बीपीएल कार्ड और मजदूरी कार्ड बनाए गए हैं, सरकार को उनका आंकड़ा भेजा जाता है और इन कार्डों की संख्या के मुताबिक ही सरकार से जिले को खाद्यान्न का आवंटन होता है, लेकिन 35000 राशन कार्ड जिन्हें राशन नहीं मिलता, वो संख्या भी खाद्यान्न आवंटन की संख्या में जोड़ी गई है.
बड़ा सवाल ये है कि जब सरकार द्वारा कुल पंजीकृत राशन कार्डों के अनुसार राशन आवंटित होता है तो इन गरीब परिवारों को पर्चियां क्यों नहीं दी जा रही हैं, इन्हें क्यों नहीं राशन मिलता. आखिर इतनी बड़ी संख्या के राशन कार्डों का आवंटित होने वाला खाद्यान्न कहां जाता है.