मंदसौर।कहते है इरादें नेक हो तो ऊपर वाला भी मदद करता है. यह पंक्तियां पशुपतिनाथ के भक्तों द्वारा महाघंटा अभियान में साकार हुई. एक घटनाक्रम ने भक्तों के मन में अभिलाषा जागृत की. फिर क्या था भक्तों द्वारा महाघंटा बनाने की शुरुआत की तो पशुपतिनाथ की कृपा भी ऐसी बरसी की लक्ष्य भी पीछे छुट गया और देश का सबसे बड़ा महाघंटा पांच सालों के लंबे सफर में बनकर तैयार हो गया. अहमदाबाद में बनकर तैयार हुआ 37 क्विंटल का महाघंटा बनकर मंदसौर पहुंच गया है. जो पशुपतिनाथ मंदिर में लगेगा. 16 फरवरी को यह शहर भ्रमण कर आशुतोष के दर पर पहुंचेगा. इसके लिए गांव-गांव में यात्राएं निकली, 146 यात्राओं से जुटाई गई धातुओं के बाद अष्टधातु से इस महाघंटा का निर्माण हुआ है.
भक्तों के समर्पण से बन गया 37 क्विंटल का महाघंटा
श्रीकृष्ण कामधेनु सामाजिक संस्था के दिनेश नागर के मुताबिक एक बार पशुपतिनाथ मंदिर के दर्शन करने के लिए गए तब वहां घंटी नहीं थी. कार्यालय पर पूछा तो सुधार के लिए भेजने की बात सामने आई. तभी से मन में आया कि शहर में विश्वप्रसिद्ध अष्टमुखी भगवान पशुपतिनाथ विराजें है तो यहां कोई यूनिक और बड़ा होना चाहिए. फिर गुगल पर सर्च किया तो प्रदेश में दतिया में रतनगढ़ माता मंदिर पर 16 क्विंटल का महाघंटा होने की बात सामने आई. इसके बाद हमने 21 क्विंटल का लक्ष्य रखा और इसमें भक्तों को जोडने के लिए यात्राएं निकाली. साल 2014 में इसके लिए धातु जुटाने के लिए गांव-गांव में यात्रा निकाली गई. हर रविवार को अलग-अलग गांव में यात्रा निकलती थी. 146 यात्राओं के माध्यम से धातु एकत्रित की गई, तब जाकर यह अभियान पूरा हुआ. यात्रा को समर्थन मिला और भक्त आगे आए और 37 क्विंटल का महाघंटा बनाने में सफलता मिली. लोगों ने यात्रा में घर के बर्तन से लेकर लोगों ने अपने पास रखी धातु इस यात्रा में दी. फर्श से लेकर अर्श तक के लोगों ने इसमें सहयेाग किया. कागज बिनने वाले से लेकर हर एक व्यक्ति ने अपने पास उपलब्ध सामग्री का इसमें समर्पण कर सहयेाग किया.