मंदसौर। सावन के दूसरे सोमवार के दिन प्रदोष की तिथि का योग आने से आज भगवान पशुपतिनाथ मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी. प्रदोष के मौके पर राजस्थान और गुजरात से भी शिव भक्त मंदसौर पहुंचे हैं. दुनिया की सबसे बड़ी अष्ट मुखी प्रतिमा के दर्शन के लिए प्रशासन ने सुरक्षा व्यवस्था के भी पुख्ता इंतजाम किए थे. करीब ढाई हजार साल पुरानी साढ़े सात फीट ऊंची इस प्रतिमा के क्षरण के कारण प्रशासन ने इस पर सीधे जलाभिषेक और पूजा सामग्री चढ़ाने की रोक लगा दी है. प्रशासन ने गर्भ ग्रह में लगे जल पात्रों के जरिए भगवान को जलाभिषेक करने की विशेष अनुमति दी है. इसी के साथ शिव के जलाभिषेक के लिए पशुपतिनाथ मंदिर पर हजारों कावड़ यात्री भी पहुंचे हैं.
शिव का मनोकामना अभिषेक
आठ साल पहले पुरातत्व विभाग के आदेश के बाद पशुपतिनाथ मंदिर में स्थित शिव की प्रतिमा पर दूध, दही और पूजा सामग्री चढ़ाने से रोक लगा दी गई थी. इन सब चीजों से प्रतिमा का क्षरण हो रहा है. जिसके बाद प्रबंध समिति ने श्रद्धालुओं की आस्था के मद्देनजर यहां मनोकामना अभिषेक का आयोजन शुरू किया है. इस आयोजन में सैकड़ों श्रद्धालु भगवान शिव की प्रतिमा के सामने बने दर्शन हाल में एक साथ पूजा अर्चना करते हैं और यहां की गई पूजा के जल को बाद में एक साथ प्रतिमा पर चढ़ाया जाता है, ताकि प्रतिमा का क्षरण ना हो. एक घंटे तक चलने वाले इस अनुष्ठान में पंडित और पुरोहित पूजा स्थल पर ही शिवलिंग का अभिषेक करवाते हैं.
भगवान पशुपतिनाथ मंदिर में उमड़ा जनसैलाब पशुपतिनाथ मंदिर में कावड़ यात्रियों की भीड़
सावन के दूसरे सोमवार के अवसर पर पशुपतिनाथ मंदिर में प्रतिमा के जलाभिषेक के लिए हजारों कावड़ यात्री भी पहुंचे हैं. बारिश के मौसम से यहां श्रद्धालुओं में भी काफी खुशी का माहौल था. दिनभर में पशुपतिनाथ मंदिर में करीब तान दर्जन से ज्यादा कावड़ यात्राएं पहुंची. जिसमें जिले के अलावा राजस्थान के श्रद्धालु भी शामिल हुए. सबसे बड़ी कावड़ यात्रा पिपलिया मंडी के टीला खेड़ा से आई जिसमें हजारों श्रद्धालु बैंड-बाजों और ढोल-नगाड़ों के साथ बाबा का जलाभिषेक करने पहुंचे.