मंडला।लॉकडाउन के चलते सैकड़ों लोगों की जिदंगी का गुजर-बसर करने का जरिया ही छिन गया. फिर चाहे वो नौकरी पेशा हों, मजदूर, छोटे व्यापारी हों या फिर कलाकार. ऐसा ही कुछ मंडला जिले की नैनपर तहसील में महिला मूर्तिकारों के साथ हुआ है. जिनके हाथ में टैलेंट तो है, पर टैलेंट को दिखाने का जरिया नहीं बचा है. क्योंकि अब ऑर्डर मिलने ही बंद हो गए हैं. नैनपुर तहसील में महिलाएं ईंट बनाने के अलावा दुर्गा उत्सव, गणेशोत्सव के लिए माटी को गूंथ कर मूर्तियां बनाने का काम करती हैं, लेकिन कोरोना काल में इनके पास अब आर्डर मिलने ही बंद हो गए. एक दौर ऐसा भी था, जब ये महिलाएं काम में इतनी मशगूल होती थी कि खाने-पीने की भी फुर्सत नहीं होती थी, ऐसे में इनके सामने रोजगार को लेकर संकट खड़ा हो गया है.
महिलाओं का पुस्तैनी काम है मूर्तिकला
प्रजापति परिवार की करीब एक दर्जन महिलाएं माटी गूंथने से लेकर, बांस और लकड़ियों से मूर्तियों के ढांचे बनाने का सारा काम खुद कर लेती हैं. यहां तक की माटी की मूरत सूखने के बाद उनकी रंगाई और शृंगार के साथ ही फाइनल टच तक देने का काम भी वो खुद ही करती हैं.
जून माह से हो जाती थी तैयारी
इन मूर्तिकारों की तैयारी जून महीने में पूरी हो जाती थी. मिट्टी से लेकर हर जरूरी कच्चा सामान जुटाने के बाद मूर्तियां बनाना भी शुरू कर देती थीं, लेकिन कोरोना के चलते लॉकडाउन में न तो कच्चा माल मिला और ही मूर्ति बनाने का काम ही शुरू हो पाया.