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ओंकारेश्वर में चार साल में नहीं स्थापित हो पाई नंदीगण की प्रतिमाएं, ट्रस्ट पर खड़े हुए सवाल

खंडवा में ओंकारेश्वर मंदिर में चार साल बाद भी नंदीगणों की स्थापना नहीं हो पाई है. कई बार बैठकों में निर्णय के बावजूद कोई न कोई अड़चन के कारण काम अधर में लटका हुआ है.

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Published : Dec 17, 2020, 7:02 PM IST

Omkareshwar
ओंकारेश्वर

खंडवा।जिले के ओंकारेश्वर मंदिर में नंदीगण की स्थापना का मामला प्रशासनिक अधिकारियों की अनदेखी और मंदिर ट्रस्ट के सदस्यों में आपसी तालमेल नहीं होने के कारण अधर में लटका हुआ है. ये पहली बार नहीं है, जब काम अधर में लटक गया हो. इसके पहले भी काम शुरू हुआ और अधर में लटका रहा.

चार सालों में नहीं हो पाई स्थापना

11 और 12 दिसंबर को सार्वजनिक बैठक में दो मुहूर्त निकाल दिए गए हैं. पिछले चार सालों से ओंकारेश्वर मंदिर के मुख्य द्वार के सामने नंदीगण की स्थापना नहीं कर पाना, कहीं न कहीं ओंकारेश्वर मंदिर ट्रस्ट के जिम्मेदार अधिकारियों और ट्रस्टी गणों की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान खड़ा कर रहा है.

अक्टूबर में भी हुई थी बैठक

जानकारी के मुताबिक अक्टूबर के महीने में पुनासा तहसील की तत्कालीन SDM ममता खेड़े ने नगर के मार्कंडेय संन्यास आश्रम में प्रमुख जगहों के संतों और पंडा-पंडितों की एक बैठक बुलाई थी. इस दौरान ओंकारेश्वर मंदिर में नंदीगण की स्थापना पर चर्चा भी की गई थी. इस बैठक में निर्णय लिया गया था कि 25 नवंबर को देव प्रबोधिनी एकादशी के पर्व पर मंदिर परिसर में रखे गए प्राचीन सफेद संगमरमर के नंदीगण की ही प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी.

SDM का हो गया ट्रांसफर

प्रदेश में हुए उपचुनाव के दौरान SDM ममता खेड़े का स्थानांतरण खंडवा जिले की पंधाना तहसील में हो गया. उनके जाने के बाद ओंकारेश्वर मंदिर में नंदीगण की प्राण प्रतिष्ठा एक बार फिर टल गई.

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3 दिसंबर को हुई दोबारा बैठक

3 दिसंबर को नए SDM चंदर सिंह सोलंकी ने मार्कंडेय संन्यास आश्रम में दोबार नंदीगण की प्राण प्रतिष्ठा के लिए संतगणों और वैदिक पंडित परिषद की संयुक्त बैठक बुलाई. इस बैठक में धार्मिक भावनाओं को ध्यान में रखते हुए मंदिर में रखें अतिप्राचीन नंदीगण को सम्मान पूर्वक मंदिर परिसर में ही रखने के साथ नवीन नंदीगण की प्रतिमा के प्राण प्रतिष्ठा करने का निर्णय सर्वसम्मति से लिया गया. यह नंदीगण की प्रतिमा जो भोलेनाथ के एक भक्त ने दान में दी है.

फिर टाल गया कार्यक्रम

SDM की बैठक में सर्वसम्मति के बाद भी मंदिर ट्रस्ट ने उसे टाल दिया है. यह सारी स्थिति दर्शाती है कि मंदिर ट्रस्ट के जिम्मेदार प्रशासनिक अधिकारी, ट्रस्टी और अन्य ट्रस्टीयों में आपसी तालमेल का अभाव है. जिसका खामियाजा दानदाताओं और भगवान भोलेनाथ के दर्शन करने आने वाले दर्शनार्थियों को भुगतना पड़ रहा है.

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