कटनी। किसानों की मुश्किलें थमती नहीं दिख रही है, एक तरफ मौसमी बारिश ओलावृष्टि और आंधी की मार तो दूसरी तरफ कोरोना वायरस का प्रकोप. खेतों में सरसों और गेहूं की फसल पक कर तैयार है. कोरोना से निपटने के लिए मध्यप्रदेश की सीमा सील होने से किसानों को मजदूरों की चिंता सताने लगी है, किसानों की फसल कट भी गई तो इन्हें मंडियों में कैसे पहुंचाया जाएगा. इसे लेकर उनके माथे पर चिंता की लकीरें साफ दिखाई दे रही है.
फसल तैयार लेकिन नहीं मिल रहे मजदूर
किसानों ने बताया कि गेहूं और सरसों की फसल पक कर तैयार खड़ी है लेकिन उसे कटवाने और गवाने के लिए मजदूर और हार्वेस्टर मशीन नहीं आ रही हैं. जिसके चलते किसानों के परिजन तो परेशान हो ही रहे हैं, लेकिन साथ-साथ मूक बधिर पशु भी परेशान होने लगे हैं. किसानों ने सरकार से आस लगाया है कि कुछ न कुछ इनके लिए शासन प्रशासन कुछ करेगा ताकि भुखमरी आने से पहले लोग फसलों की कटाई कर अपना और पशुओं का भरण पोषण कर सकेंगे.
लॉकडाउन की वजह से नहीं मिल रहे मजदूर
किसानों की फसलें कटाई का पूरा दारोमदार दूसरे प्रदेशों से आने वाले मजदूरों और हार्वेस्टर मशीनों पर टिका है. हर साल गेहूं की कटाई के लिए अन्य जिलों के मजदूर और हार्वेस्टर मशीन कटनी पहुंचते थी. लेकिन कोरोना वायरस के चलते प्रदेश में पूरी तरह से लॉकडाउन है. इसके चलते ना तो बसें चल रही हैं और ना ही ट्रेन. ऐसे में इन मजदूरों का कटनी पहुंचना मुश्किल है, वहीं सरसों का रकबा कम होने के कारण किसानों ने जैसे-तैसे स्थानीय मजदूरों की मदद से सरसों की कुछ तो कटाई करा ली लेकिन गेहूं की कटाई दूसरे प्रदेशों के मजदूरों और हार्वेस्टर मशीनों की मदद के बगैर संभव नहीं है.