झाबुआ। कोरोना महामारी को जिले में दस्तक दिए 4 महीने से ज्यादा का समय गुजर चुका है, बावजूद आदिवासी बहुल झाबुआ जिला कोरोना की जांच के लिए अब तक आत्मनिर्भर नहीं बन पाया. कोरोना लक्षण और संभावित मरीजों के सैंपल की जांच के लिए अब तक झाबुआ पूरी तरह से इंदौर पर निर्भर है. सरकार ने फौरी तौर पर जिले को राहत देने के लिए यहां पर ट्रू नॉट मशीन जरूर भेजी मगर वह भी लिए जाने वाले सैंपलों की जांच करने में नाकाफी साबित हो रही है, लिहाजा 4 महीनों बाद भी झाबुआ के सैंपल जांच के लिए इंदौर भेजे जा रहे हैं.
ट्रू नॉट मशीन नाकाफी
झाबुआ में कोरोना सैम्पलों की जांच के लिए दो ट्रू नॉट मशीन लगाई गई है जो अधिकतम 40 सैंपल की जांच रोज कर सकती है. एक मशीन में 2 सैंपल की जांच में तकरीबन 1 घंटे का समय लगता है. ऐसे में दिन भर अनुभवी लैब टेक्नीशियन भी 12 से 14 घंटे के काम के बाद महज 30 से 40 सैंपल की जांच रिपोर्ट ही तैयार कर पाता है. वहीं कई बार मशीन में लगने वाली एक्यूमेंट तो कभी किट की कमी से स्थानीय स्तर पर जांच प्रभावित होती है.