जबलपुर। मध्य प्रदेश की राजनीति के दो बड़े धुरंधर भारतीय जनता पार्टी के नेता प्रहलाद पटेल और राकेश सिंह किसी जमाने में अच्छे दोस्त हुआ करते थे. दोनों ने जबलपुर के साइंस कॉलेज से राजनीति की शुरुआत की थी. प्रहलाद पटेल को राजनीति में किस्मत आजमाने का मौका जल्दी मिल गया, लेकिन राकेश सिंह को यह मौका कुछ दिनों बाद मिला. आज दोनों ही नेता लगभग एक पायदान पर खड़े हुए हैं. कभी एक दूसरे के अच्छे दोस्त रहे, दोनों नेताओं में अब पुरानी सी दोस्ती नहीं रही.
अच्छे दोस्त माने जाते थे राकेश सिंह और प्रहलाद पटेल: राकेश सिंह 2004 से लगातार जबलपुर में लोकसभा के चुनाव जीतते चले आ रहे हैं. इसके पहले राकेश सिंह को बरगी विधानसभा का प्रभारी बनाया गया था. वे 15 साल तक बरगी विधानसभा के प्रभारी रहे. हालांकि उस समय यह विधानसभा आरक्षित हुआ करती थी. जब राकेश सिंह को पहली बार जबलपुर से लोकसभा का टिकट मिला, तब वे जबलपुर ग्रामीण के अध्यक्ष हुआ करते थे. तब तक राकेश सिंह, उमा भारती और प्रहलाद पटेल के काफी करीबी माने जाते थे. लेकिन जब उमा भारती ने भारतीय जनता पार्टी से बगावत की और लोक जनशक्ति पार्टी बनाई. उस दौरान सभी को उम्मीद थी कि राकेश सिंह भी उमा भारती और पहलाद पटेल के साथ भारतीय जनता पार्टी छोड़ देंगे, लेकिन राकेश सिंह ने ऐसा नहीं किया. यहीं से राकेश सिंह और पहलाद पटेल के बीच की दूरियां बढ़नी शुरू हो गई थी. इसके बाद प्रहलाद पटेल भारतीय जनता पार्टी में लौट जरूर आए, लेकिन इन दोनों नेताओं की आपसी नजदीकियों में दरार पड़ चुकी थी.