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Jabalpur गर्भवती विवाहिता की दहेज प्रताड़ना के दौरान हत्या, पति को आजीवन कारावास

गर्भवती विवाहिता की मौत को आत्महत्या बताने वाले पति की पोल कोर्ट में खुल गई. कोर्ट ने परिस्थितिजन्य साक्ष्यों के आधार पर विवाहिता की मौत को हत्या की घटना माना और पति को इस मामले में आजीवन कारावास की सजा सुनाई.

Pregnant married woman murdered
गर्भवती विवाहिता की दहेज प्रताड़ना के दौरान हत्या

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Published : Feb 10, 2023, 4:49 PM IST

जबलपुर।विवाहिता की मौत को लेकर पुलिस ने आरोपी के खिलाफ दहेज हत्या सहित अन्य धाराओं के तहत प्रकरण दर्ज किया था. न्यायालय ने सुनवाई के दौरान पाया गया कि गर्भवती विवाहिता के पैर लकड़ी के टेबल में स्थिर अवस्था में थे. न्यायालय ने आरोपी को हत्या के अपराध में आजीवन कारावास की सजा से दंडित किया है. अभियोजन के अनुसार गोहलपुर थाना के तहत समता कॉलोनी में मामा के घर किराये पर रहने वाले सोनू उर्फ राहुल ठाकुर ने 24 जनवरी 2013 को प्रिया ठाकुर से प्रेम विवाह किया था.

पुलिस ने दहेज प्रताड़ना का केस माना :पति द्वारा दहेज में एक लाख रुपये की मांग करते हुए उसे मानसिक व शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया जाता था. जिसके कारण प्रिया ने 6 फरवरी 2014 को घर में कथित रूप से आत्महत्या कर ली थी. पुलिस ने आरोपी युवक के खिलाफ धारा 304 बी, 498 तथा दहेज एक्ट के तहत प्रकरण दर्ज कर न्यायालय में चालान पेश किया था. सुनवाई के दौरान न्यायालय को बताया गया कि आरोपी तथा उसकी पत्नी के बीच 31 जनवरी 2014 को स्वैच्छा से तलाक हो गया था. स्टाम्प पेपर में दोनों ने नोटरी के समक्ष तालाक लिया था.

आरोपी के बयान से झूठ पकड़ा :तलाक के बाद महिला अपने मायके चली गयी थी. घटना के दिन आरोपी विवाह समारोह में गया था. तभी महिला उनके घर में आई और कमरे में आत्महत्या कर ली. अभियोजन यह साबित नहीं कर पाया कि आरोपी युवक द्वारा दहेज के लिए महिला को प्रताड़ित करता था. न्यायालय ने सुनवाई के दौरान पाया कि परिस्थितिजनक साक्ष्य हत्या के अपराध को इंगित कर रहे हैं. न्यायालय ने सुनवाई के दौरान पाया कि आरोपी का कथन है कि जब वह शादी से लौटा तो मामा ने उसे सूचित किया कि प्रिया ने आत्महत्या कर ली है.

पत्नी के हत्यारे पति को आजीवन कारावास की सजा, ससुर भी दोषी

तलाक लेने का मामला साबित नहीं :मकान मालिक मामा का कथन है कि शादी से लौटने के बाद आरोपी अपने कमरे में गया तो देखा कि प्रिया का शव पड़ा है. न्यायालय ने सुनवाई के दौरान पाया कि आरोपी युवक यह नहीं बता पाया कि वह किसकी और कहां शादी समारोह में गया था. पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार महिला के गर्भ में चार माह का भ्रूण था. तलाक लेने के दौरान उपस्थित गवाह के साक्ष्य भी नहीं करवाये गये. नोटरी करने वाले अधिवक्ता के भी साक्ष्य नहीं करवाये थे. जिससे प्रमाणित हो कि स्टाम्प में प्रिया के हस्ताक्षर थे. परिस्थितिजनक साक्ष्यों के आधार पर मृतका के पैर लकड़ी के टैबल में स्थिर अवस्था में थे. न्यायालय ने आरोपी को हत्या का दोषी मानते हुए आजीवन कारावास तथा 10 हजार रुपये के जुर्मान की सजा से दण्डित किया है.

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