जबलपुर। पनागर विधानसभा में प्रत्याशी चयन ही तय कर देगा की विधानसभा चुनाव के परिणाम का ऊंट किस करवट बैठेगा. जबलपुर की पनागर विधानसभा में चुनाव विकास के मुद्दे पर होने की बजाय प्रत्याशियों के नाम पर होगा. हालांकि यह भारतीय जनता पार्टी का मजबूत गढ़ माना जाता रहा है, लेकिन यदि कांग्रेस ने प्रत्याशी चयन में सतर्कता बरती तो भारतीय जनता पार्टी यहां परास्त हो जाएगी.
पनागर विधानसभा का राजनीतिक समीकरण:पनागर विधानसभा क्षेत्र में 2018 का चुनाव भारतीय जनता पार्टी के विधायक प्रत्याशी सुशील कुमार तिवारी इंदु जीते थे. 2018 के विधानसभा चुनाव में दूसरे स्थान पर भारत यादव थे. भारत यादव भी भारतीय जनता पार्टी के ही नेता थे, लेकिन उन्हें टिकट नहीं मिली थी, इसलिए वे निर्दलीय ही मैदान में उतर गए थे. उन्हें कांग्रेस के उम्मीदवार सम्मति सैनी से ज्यादा वोट मिले थे. कांग्रेस के उम्मीदवार सम्मति सैनी तीसरे स्थान पर पहुंचे थे.
2013 के चुनाव में भी यहां भारतीय जनता पार्टी के सुशील कुमार तिवारी इंदु ही जीते थे. यह विधानसभा भारतीय जनता पार्टी के पास 2003 से है, लेकिन इस बार यदि कांग्रेस भारत यादव को चुनाव मैदान में उतार देती है, तो भारतीय जनता पार्टी के लिए चुनाव जीतना कठिन हो जाएगा. भारत यादव लगातार कांग्रेस के संपर्क में हैं. ऐसी संभावना है कि वह कांग्रेस के प्रत्याशी के बतौर बनाकर विधानसभा में अपनी किस्मत आजमा सकते हैं.
पनागर विधानसभा की आर्थिक गतिविधि: जबलपुर शहर की सीमा पर पनागर विधानसभा है. यह जबलपुर को उत्तर और पूर्व दोनों ओर से घेरे हुए है. किसी बड़े शहर के पास में बने उपनगरीय कस्बे विकसित नहीं हो पाए. यह कुछ ऐसा ही है कि बरगद के नीचे दूसरे पेड़ पौधे नहीं पनप पाते. पनागर विधानसभा के साथ भी कुछ ऐसा ही हो रहा है. पनागर विधानसभा में दो बड़े कस्बे शामिल हैं. इसमें पनागर और बरेला इन दोनों ही नगर परिषद में ज्यादातर छोटे और मझोले किस्म के व्यापारी स्थानीय जरूरत के समान का व्यापार करते हैं. यहां कोई बड़ा बाजार नहीं है. पनागर विधानसभा में बड़ी आबादी खेती पर निर्भर है. यहां गेहूं, धान और सब्जी की खेती होती है. वहीं शहर के करीब होने की वजह से यहां भी खेतों में प्लाट काटने का व्यापार बड़े पैमाने पर पनप रहा है. इसकी वजह से यहां कुछ भूमाफिया भी सक्रिय हैं और आधी अधूरी तैयारी के साथ अवैध कॉलोनीयों का व्यापार भी जोर-शोर से हो रहा है.