जबलपुर।केंद्र सरकार की आजीविका मिशन योजना में भ्रष्टाचार तथा अवैधानिक तरीके से की गयी नियुक्तियों को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की गयी. याचिका में कहा गया था कि जांच में दोषी पाये गये व्यक्तियों के खिलाफ एफआईआर करवाने की अनुशंसा की गयी थी. एक साल से अधिक का समय गुजर जाने के बावजूद भी दोषियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं की गयी है. हाईकोर्ट जस्टिस शील नागू तथा जस्टिस वीरेंदर सिंह की युगलपीठ ने जांच रिपोर्ट को याचिका का हिस्सा बनाने के लिए आवेदन प्रस्तुत करने के निर्देश जारी किए हैं.
भ्रष्टाचार व फर्जी नियुक्ति का हवाला :याचिकाकर्ता भूपेन्द्र कुमार प्रजापति की तरफ से दायर की गयी याचिका में कहा गया था कि प्रदेश में पिछले पांच सालों में आजीविका मिशन के तहत हुए भ्रष्टाचार का खुलासा उनके द्वारा किया गया था. नियम विरुद्ध तरीके से साल 2017 में 29 जिलों में सूक्ष्य बीमा योजना के तहत महिलाओं के सेल्फ ग्रुप बनाकर बीमा के नाम पर 1 करोड़ 78 लाख रुपये की राशि एकत्र की गयी थी. उक्त राशि बैंक में जमा नहीं की गयी और किसी प्रकार का कोई बीमा नहीं करवाया गया. इसके अलावा राज्य परियोजना प्रबंधक सुषमा रानी ने फर्जी नियुक्ति पाई है. योजना के तहत रोजगार के संसाधनों व मशीनों को निर्धारित से तीन गुने दाम में खरीदकर भ्रष्टाचार किया गया है.