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MP High Court News: जबलपुर हाई कोर्ट का बड़ा फैसला, 'राजस्व अधिकारी को नहीं है वसीयत की वास्तविकता तय करने का अधिकार' - एमपी हाई कोर्ट

वसीयत के आधार पर शासकीय अभिलेख में लाभार्थियों के नाम दर्ज किये जाने के आदेश को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गयी थी. याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि- "राजस्व अधिकारी को अधिकार नहीं है कि वह वसीयत की वास्तविकता निर्धारित करे. वसीयत की वास्तविकता सक्षम न्यायालय निर्धारित कर सकता है."

mp high court
एमपी हाई कोर्ट

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Sep 4, 2023, 8:05 PM IST

जबलपुर।वसीयत के आधार पर शासकीय अभिलेख में लाभार्थियों के नाम दर्ज किये जाने के आदेश को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की गयी थी. हाई कोर्ट के जस्टिस जीएस अलुहवालिया ने अपने आदेश में कहा है कि "राजस्व अधिकारी को अधिकार नहीं है कि वह वसीयत की वास्तविकता निर्धारित करे. वसीयत की वास्तविकता सक्षम न्यायालय निर्धारित कर सकता है."

हाईकोर्ट में दायर हुई थी याचिका:याकिचाकर्ता उर्मिला तिवारी की तरफ से दायर की गयी याचिका में कहा गया था कि "उनके पिता ने अपने बेटे कृपाराम और राजीव के नाम पर वसीयत की थी. वसीयत के आधार पर नाम दर्ज करवाने के लिए आवेदन पेश किया गया था और शासकीय अभिलेखों में उनका नाम दर्ज करने का आदेश तहसीलदार टीकमगढ़ द्वारा जारी किया गया था. जिसके खिलाफ उन्होंने एसडीएम के समक्ष अपील दायर की गयी थी. "

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हाई कोर्ट ने किए अधिकारी के आदेश को निरस्त:एसडीएम ने आदेश को निरस्त करते हुए कहा था कि "सभी कानूनी हकदारों के नाम दर्ज किये जायें. एसडीएम के आदेश के खिलाफ अतिरिक्त संभागायुक्त के समक्ष अपील दायर की गयी थी. सुनवाई के बाद अतिरिक्त संभागायुक्त ने अपील को स्वीकार कर लिया. जिसके कारण उक्त याचिका दायर की गयी है. एकलपीठ ने सुनवाई के बाद अतिरिक्त संभागायुक्त के आदेश को निरस्त करते हुए उक्त आदेश जारी किये. एकलपीठ ने अपने आदेश में कहा है कि अनावेदक वसीयत की वैधता के लिए समक्ष न्यायालय की शरण लेने को स्वतंत्र है.

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