जबलपुर।वसीयत के आधार पर शासकीय अभिलेख में लाभार्थियों के नाम दर्ज किये जाने के आदेश को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की गयी थी. हाई कोर्ट के जस्टिस जीएस अलुहवालिया ने अपने आदेश में कहा है कि "राजस्व अधिकारी को अधिकार नहीं है कि वह वसीयत की वास्तविकता निर्धारित करे. वसीयत की वास्तविकता सक्षम न्यायालय निर्धारित कर सकता है."
हाईकोर्ट में दायर हुई थी याचिका:याकिचाकर्ता उर्मिला तिवारी की तरफ से दायर की गयी याचिका में कहा गया था कि "उनके पिता ने अपने बेटे कृपाराम और राजीव के नाम पर वसीयत की थी. वसीयत के आधार पर नाम दर्ज करवाने के लिए आवेदन पेश किया गया था और शासकीय अभिलेखों में उनका नाम दर्ज करने का आदेश तहसीलदार टीकमगढ़ द्वारा जारी किया गया था. जिसके खिलाफ उन्होंने एसडीएम के समक्ष अपील दायर की गयी थी. "