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MP High Court: OBC आरक्षण मामले में सुनवाई जारी, अब निष्पक्ष बैंच गठित करने के लिए याचिका

मध्यप्रदेश में ओबीसी आरक्षण के मामले में जबलपुर हाईकोर्ट में सुनवाई जारी है. इस मामले में पक्ष व विपक्ष की कुल 64 याचिकाओं पर लंबे समय से सुनवाई चल रही है. अब इस मामले की सुनवाई के लिए निष्पक्ष बैंच गठित करने की मांग की गई है.

MP High Court
OBC आरक्षण मामले में जबलपुर हाईकोर्ट में सुनवाई जारी

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Published : Mar 21, 2023, 10:41 AM IST

जबलपुर। प्रदेश में ओबीसी आरक्षण 27 प्रतिशत किये जाने से संबंधित 64 याचिकाओं की सुनवाई के लिए निष्पक्ष बैंच गठित किये जाने की मांग को लेकर हाईकोर्ट में आवेदन पेश किया गया. हाईकोर्ट जस्टिस शील नागू तथा जस्टिस विरेन्द्र सिंह ने आवेदन की सुनवाई के लिए 29 मार्च की तिथि निर्धारित की है. युगलपीठ ने ओबीसी आरक्षण के संबंध में सर्वोच्च न्यायालय में लंबित याचिका का रिकॉर्ड व आदेश प्रस्तुत करने सरकार को निर्देश जारी किये हैं.

अब आरक्षण के समर्थन में सुनवाई जारी :बता दें कि प्रदेश में 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण को लेकर खिलाफ व पक्ष में 64 याचिकाएं दायर की गयी हैं. याचिका की अंतिम सुनवाई के दौरान विपक्ष में दायर याचिका पर पक्ष प्रस्तुत किया जा चुका है. समर्थन में दायर याचिका पर पक्ष प्रस्तुत किया जा रहा है. याचिका पर पूर्व में हुई सुनवाई के दौरान युगलपीठ को बताया गया कि साल 2003 में शासन ने ओबीसी आरक्षण 27 प्रतिशत करने के आदेश जारी किये थे. इस संबंध में दायर याचिकाओं की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने अक्टूबर 2014 में ओबीसी आरक्षण 27 प्रतिशत किये जाने का आदेश को खारिज कर दिया था. हाईकोर्ट द्वारा आदेश खारिज किए जाने को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गयी.

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युगलपीठ के सामने ये दलील :हाईकोर्ट में दायर याचिकाओं की सुनवाई के दौरान युगलपीठ को बताया गया कि सरकार द्वारा विधानसभा चुनाव के पूर्व जून 2003 में ओबीसी आरक्षण 27 प्रतिशत करने का नोटिफिकेशन जारी किया गया था. इसके बाद विधानसभा चुनाव में सत्ता परिवर्तन होने के कारण हाईकोर्ट के समक्ष पैनल लॉयर ने उपस्थित होकर अपना पक्ष रखा था. अब याचिकओं की सुनवाई के लिए निष्पक्ष बैंच गठित किये जाने की मांग करते हुए युगलपीठ के समक्ष आवेदन भी प्रस्तुत किया गया. आवेदन में सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का हवाला देते हुए कहा गया कि विशेष बैंच में ओबीसी तथा सामान्य वर्ग के न्यायाधीश नहीं होना चाहिए. युगलपीठ ने सुनवाई के बाद उक्त आदेश जारी किये. सुनवाई के दौरान अधिवक्ता आदित्य संघी, शासन की तरफ से अतिरिक्त महाधिवक्ता आशीष बर्नाड तथा विशेष अधिवक्ता रामेश्वर पी सिंह ने पक्ष रखा.

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