डॉक्टर नाजपांडे पर जनता को 'नाज', 400 से ज्यादा जनहित याचिका लगाने वाले देश के इकलौते समाजसेवी - नाजपांडे 400 याचिकाएं
Social Worker Dr Najpanday: जबलपुर निवासी डॉ. पीजी नाजपांडे ने अब तक मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में 436 जनहित याचिकाएं लगाई हैं. 85 साल की उम्र में अभी भी नाजपांडे किसी आम युवा से ज्यादा सक्रिय हैं और जनहित से जुड़े काम लगातार कर रहे हैं. नाजपांडे की जनहित याचिकाओं ने कई बार कोर्ट के आदेशों के दम पर सरकार और प्रशासन को अपने फरमान बदलने के लिए मजबूर कर दिया.
जबलपुर।डॉक्टर नाजपांडे का जन्म उमरेड जिला नागपुर में 25 मार्च 1938 में हुआ था, जहां उन्होंने स्कूल शिक्षा प्राप्त की. बाद में नागपुर से इंटर करने के बाद जबलपुर के वेटरनरी कॉलेज से स्नातक तक की डिग्री ली. आदिवासी क्षेत्र में काम करने की इच्छा बताकर उन्होंने सरगुजा जिले में वेटरनरी डॉक्टर के पद पर 5 साल काम किया तथा नौकरी के दौरान आदिवासी क्षेत्रों में 60 से ज्यादा स्कूली शाखाएं शासन के द्वारा चालू की गई, जिन में उनका विशेष योगदान था. लेकिन बाद में नौकरी छोड़कर महू इंदौर से वेटरनरी के स्नाकोत्तर डिग्री ली तथा वेटरनरी कॉलेज जबलपुर में प्राध्यापक के पद पर कार्य शुरू किया.
जनहित आंदोलन की वजह से सरकार ने सस्पेंड किया:उन्होंने समूचे मध्य प्रदेश में पहले कृषि यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर तथा वैज्ञानिकों के संगठन के प्रांतीय अध्यक्ष के नाते 20 वर्ष तक कार्य कर कृषि क्षेत्र के उत्थान को अहम महत्व दिया. शासन को उनकी सक्रियता चुभती थी. इस कारण आंदोलन में एक बार उन्हें नौकरी से निलंबित किया गया, बाद में तो उन्होंने समय पूर्व ही रिटायर कर दिया गया. पर वह यहां पर रुके नहीं और उन्होंने अपने केस को हाई कोर्ट तथा सुप्रीम कोर्ट में लड़ा तथा 10 साल तक केस चलने के बाद 2006 में जीत हासिल की.
नाजपांडे ने लगाई 400 जनहित याचिकाएं
नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच:डॉ. पीजी नाजपांडे ने 1992 में ही नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच का गठन किया और सबसे पहले दूध के बड़े हुए दामों के खिलाफ आंदोलन शुरू किया और यह पहला मुद्दा था जिसे भी जनहित में कोर्ट के सामने लेकर गए. इस मुद्दे को महत्वपूर्ण मानते हुए पहली बार दूध को अति आवश्यक वस्तु में शामिल किया गया था. इसके बाद डॉक्टर साहब ने दूसरे मुद्दे उठाने शुरू किया और इसके लिए एक संस्था का भी गठन किया. जिसे नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच के नाम से जाना जाता है. इसी संस्था के माध्यम से 400 से ज्यादा जनहित याचिकाएं लगाई गई हैं.
माननीय के खिलाफ जनहित याचिका:मंत्रियों, विधायकों और आईएएस आईपीएस अधिकारियों के खिलाफ लोकायुक्त और भ्रष्टाचार के मामलों पर नियत समय में कार्यवाही कर जवाब देने के मामले में कई मंत्री और आईएएस अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही हुई.
एंग्लो इंडियन विधायक खत्म करवाए:डॉ. नाजपांडे ने मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में एक जनहित याचिका लगाई थी, जिसमें मध्य प्रदेश विधानसभा में एंग्लो इंडियन कोटे से बनने वाले विधायक की प्रासंगिकता पर सवाल उठाएं और कोर्ट ने इस पद को ही खत्म कर दिया.
हीरा खदान का मामला:डॉ. नाजपांडे ने बक्सवाहा छतरपुर जंगल के चार लाख पेड़ों की कटाई के खिलाफ याचिका दायर कर वृक्षों को बचाया. 25000 वर्ष पूर्व में प्राचीन रॉक पेंटिंग को बचाया.
सीलिंग पीड़ित किसान मामले में जेल गए:डॉ. नाजपांडे ने किसानों के हितों की रक्षा करने हेतु 15 वर्ष पूर्व में सीलिंग पीड़ित किसान समिति का गठन किया. पैतृक भूमि को जबरदस्ती से छीनकर किसानों को हो रही भारी नुकसान के खिलाफ लगातार आंदोलन किया. जिसके कारण छह बार जेल की यात्रा करनी पड़ी किसानों के लिए मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में शिकायत भी दायर की. सीलिंग पीड़ित किसानों का यह अभियान अभी भी जारी है.
400 से अधिक जनित यचिकाएं दायर की:तीन दशकों में डॉक्टर नाजपांडे द्वारा मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में 400 से अधिक जनित यचिकाएं दायर की गई हैं. इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट में 28 विभिन्न ट्रिब्युनलों तथा आयोग में 56 याचिकाएं दायर की गई हैं. जिनमें बिजली, दूध, पेट्रोल, डीजल आदि अनेक रोजमर्रा के मुद्दों पर याचिका दायर कर सफलता प्राप्त की है. पर्यावरण, नदी एवं जल संरक्षण पर हाईकोर्ट तथा नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल से राहत प्राप्त की गई हैं. उन्होंने पर्यावरण, नदी संरक्षण, प्रदूषण, खाद्य मिलावट, जबलपुर में डेयरी हटाने के लिए, स्कूलों की फीस के लिए, स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए, जनहित याचिकाएं दायर की. इसके अलावा जबलपुर के लिए उनके द्वारा जबलपुर में वेटरनरी यूनिवर्सिटी बनाने के लिए आंदोलन किया गया तथा बादशाह हलवाई मंदिर का चीर्णोद्धार के लिए याचिका दायर गई.
मोटर व्हीकल एक्ट लागू:रानी दुर्गावती संग्रहालय के पास ऑटो स्टैंड हटाने के लिए ग्रामीण टेंपो बंद करने के लिए डीजल ऑटो बंद करने के लिए याचिका दायर की गई तथा विभिन्न सड़क मार्गों निर्माण के लिए भी इनके द्वारा याचिकाएं दायर की गईं. जिनमें प्रमुखता घमापूर से रांझी तक तथा जबलपुर से नागपुर नेशनल हाईवे और रानी ताल से कच्छपूरा ब्रिज तक सड़के शामिल हैं. विशेषता रानीताल सड़क निर्माण के लिए आम जनता के द्वारा इनका पुतला दहन भी किया गया. इसके अलावा उनके द्वारा हेलमेट पर जुर्माना, बिना परमिट की गाड़ी चलाना, बिना बेल्ट के गाड़ी चलाना, हॉर्न का शोर मचाना, ओवरलोडिंग गाड़ी चलाते समय मोबाइल में बात करना, आदि विषयों पर भी याचिका दायर की गई तथा मोटर व्हीकल एक्ट लागू हुआ.
जबलपुर में अंगदान हेतु अभियान शुरू किया:पेट्रोल के रेट के लिए भी याचिका दायर की गई जिसके तहत नए फार्मूले द्वारा पेट्रोल के रेट डिसाइड हुए. इसके अलावा बच्चों आम जनता के साथ-साथ वृद्ध लोगों के लिए भी इनके द्वारा निराश्रित आश्रम के लिए याचिका दायर की गई. जिसके तहत बहुत ही अच्छे परिणाम देखने को मिले. कोविड के दौरान मरीज से ज्यादा फीस वसूलने के मामले में जनहित याचिका दायर की गई जिसमें कोर्ट की दखल के बाद अस्पतालों की फीस तय की गई थी. जबलपुर एयरपोर्ट में मॉर्डनाइजेशन के लिए भी याचिका दायर की गई थी. जबलपुर में अंगदान हेतु अभियान शुरू किया गया. नतीजा जबलपुर में पहली बार समिति का गठन हुआ है तथा यह कार्य जारी हुआ. डॉक्टर नाजपांडे ने 2007 में स्वयं के अंगदान के लिए रजिस्ट्रेशन करवाया. जबलपुर के हितों को लिए विशेष प्रयास किए.
बिजली की कीमत कम करने के लिए चिट्ठी:नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच की ओर से आज भी मध्य प्रदेश में बिजली के बढ़े हुए दामों को कम करने के लिए डॉक्टर पी जी नाज पांडे ने मध्य प्रदेश विद्युत नियामक आयोग को आज ही चिट्ठी लिखी है और बिजली के दर कम करने की मांग की है. नाजपांडे किसी भी राजनीतिक दल से जुड़े हुए नहीं हैं. अपनी ही तरह के जुझारू समाजसेवियों के साथ वह जनहित के मुद्दों को हाई कोर्ट के माध्यम से उठते हैं. वह कहते हैं कि ''उनके मामलों में कभी भी वकीलों ने पैरवी करने की फीस नहीं ली. जबकि मार्गदर्शक मंच की ओर से वकीलों की हड़ताल के खिलाफ भी हाईकोर्ट में जनहित याचिका लगाई गई थी.'' हमारी न्याय व्यवस्था में जनहित याचिका के अधिकार को आम जनता के लिए जितना पीजी नाजपांडे ने इस्तेमाल किया उतना देश में किसी दूसरे आदमी ने नहीं किया.