जबलपुर। बादशाह हलवाई मंदिर पहाड़ी और शोभापुर पहाड़ी सहित अन्य पहाड़ों को छिन्न-भिन्न कर खनन करने के मामले को हाईकोर्ट ने गंभीरता से लिया है. चीफ जस्टिस मो. रफीक और जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की युगलपीठ के समक्ष पूर्व आदेश के परिपालन में तहसीलदार की ओर से जांच रिपोर्ट पेश की गई.
14 जुलाई को निर्धारित की अगली सुनवाई
रिपोर्ट में तहसीलदार के मुताबिक, शोभापुर पहाड़ी पर कोई उत्खनन नहीं हो रहा है. वहां सिर्फ समतलीकरण का कार्य चल रहा है और वह जमीन भी निजी है. युगलपीठ ने मामले में कलेक्टर को निर्देशित किया कि वे यह सुनिश्चित करें कि अगली सुनवाई तक विवादित क्षेत्र में कोई उत्खनन न हो. युगलपीठ ने मामले की सुनवाई रिव्यू याचिका के साथ संयुक्त रूप से करने के निर्देश देते हुए अगली सुनवाई 14 जुलाई को निर्धारित की है.
याचिका में पहाड़ियों का मांगा संरक्षण
यह जनहित याचिका एडवोकेट जकी अहमद ने दायर की थी. याचिका में कहा गया कि बादशाह हलवाई मंदिर और शोभापुर पहाड़ी शहर की विरासत हैं. ऐसे में वहां उत्खनन नहीं होना चाहिए. वर्तमान में चल रहे उत्खनन को नष्ट किया जाना चाहिए. याचिका में पहाड़ियों के संरक्षण की मांग की गई.
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मामले में जबलपुर कलेक्टर, निगामायुक्त, जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया, टीएनसीपी, जेडीए, ऑर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया, नेशनल एनवायरमेंट इंजीनियर रिसर्च इंस्टीट्यूट के डीजी, पीव्हीएस प्रॉपर्टी डीलर, प्रमोद जैन प्रॉपर्टी डीलर, नरेन्द्र सिंह निवासी शोभापुर, शोभना सिंह चव अभिलाष तिवारी डेवलेपर्स को पक्षकार बनाया गया है. मामले की प्रारंभिक सुनवाई पर न्यायालय ने अनावेदकों को नोटिस जारी कर जवाब पेश करने के निर्देश दिये थे. न्यायालय ने तहसीलदार द्वारा पेश की गई रिपोर्ट की एक कॉपी आवेदक को देने के निर्देश दिए.