जबलपुर। शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के उत्तराधिकारी के रूप में आज स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती को ज्योतिष पीठ और स्वामी सदानंद सरस्वती को शारदा पीठ का नया शंकराचार्य घोषित कर दिया गया. ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी केस में वाराणसी की जिला अदालत द्वारा सुनाए गए फैसले और कृष्ण जन्मस्थली विवाद पर अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती खुलकर बोले.shringar gauri gyanvapi mosque case, Swami Avimukteshwaranand Saraswati Statement on Gyanvapi, new Shankaracharya Swami Avimukteshwaranand Saraswati
ज्ञानवापी में साक्षात शिव प्रकट हुए:अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कहा कि यह गलत प्रचलन था, जब शक्तिशाली लोग किसी के निर्माण को तोड़ देते थे. अब तक यही होता चला आया और हिंदू मंदिरों को तोड़ा गया. उन्होंने कहा कि सब कुछ साफ है, आपका इतिहास, किवदंतिया और जाने कितने लेखक कह चुके हैं कि ज्ञानवापी में साक्षात भगवान शिव प्रकट हुए हैं, लेकिन इसके बावजूद यह मानने में कोर्ट को 1 साल लग गए कि यह मामला विचार योग्य है. न्यायालय को आत्म अवलोकन की जरूरत है कि वो किस दिशा में जा रहे हैं.
Swaroopanand Saraswati Successor: स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद और स्वामी सदानंद होंगे शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती के उत्तराधिकारी
अपने ही देश में हम हिंदू पराए: उन्होंने कहा कि कोर्ट के सामने अगर कोई भी मुद्दा लाया गया है तो वह विचारणीय होता ही है, लेकिन कोर्ट पहले इस पर विचार कर रहा है कि मुद्दा विचारणीय है या नहीं, यह ठीक नहीं है. हालांकि इस बात की खुशी है कि कोर्ट ने ज्ञानवापी मामले को विचारणीय माना है. उन्होंने कहा कि वरना हम हिंदू इस देश में ऐसे पराए हुए हैं कि हमारी कोई बात विचार योग्य होती ही नहीं. वहीं जब अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती से ज्ञानवापी और कृष्ण जन्मस्थली विवाद पर पहल करने को लेकर पूछा गया तो उन्होंने कहा कि सनातन धर्म से जुड़ा कोई भी धार्मिक मुद्दा होगा तो हम उसके लिए हमेशा खड़े रहेंगे.
कोर्ट ने सुनाया फैसला:बता दें ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी केस में वाराणसी की जिला अदालत ने आज अपना फैसला सुना दिया. अदालत ने कहा है कि श्रृंगार गौरी से जुड़ी याचिका सुनवाई योग्य है. हिंदू पक्ष के वकील विष्णु जैन और हरिशंकर जैन ने बताया कि कोर्ट ने यह फैसला सबूतों के आधार पर दिया है. अब श्रृंगार गौरी की रोजाना पूजा को लेकर दायर की गई याचिका पर रोजाना सुनवाई होगी. हिंदू पक्ष के वकील हरिशंकर जैन ने फैसले के बारे में बताते हुए दावा किया कि ज्ञानवापी पर प्लेसेज ऑफ वरशिप एक्ट (places of worship act 1991) लागू नहीं होता है. इस कारण ज्ञानवापी मामले में पूजास्थल का धार्मिक कैरेक्टर बदलने की गुंजाइश है. इस मामले की अगली सुनवाई 22 सितंबर को होगी. मुस्लिम पक्ष ने इस फैसले को ऊपरी अदालत में चुनौती देने का ऐलान किया है. (shringar gauri gyanvapi mosque case, Swami Avimukteshwaranand Saraswati Statement on Gyanvapi, new Shankaracharya Swami Avimukteshwaranand Saraswati )