इंदौर। आधुनिकता के दौर में सिमटता बुंदेलखंड का लोक संगीत फाग हजारों साल पुरानी परंपरा को जिंदा रखे हुए हैं. होली आते ही बुंदेलखंड में फाग का दौर चलने लगता है. बुंदेलखंड में फाग होली का विशेष संगीत है और फाग पर राई नृत्य किया जाता है.
होली के दौरान गाई जाने वाली फागो में बुंदेलखंड में पारिवारिक रिश्तों की नोक -झोक शामिल होती है. जीवन की भागदौड़ में जिन रिश्तों को लोग भूल जाते हैं, होली उन रिश्तों में मिठास घोलने का काम करती है. बुंदेलखंडी लोकगीतों में इसी नोक झोंक को बड़े मीठे शब्दों में पिरो कर गाया जाता है. टीमकी ढोलक, झांज, मंजीरे और हारमोनियम को इस तरह बनाया जाता है कि सुनने वाले का मन नाचने को करने लगता है.
बुंदेलखंड का लोक संगीत फाग फाग केवल हंसी मजाक तक सीमित नहीं है बल्कि बीते साल में जिन घरों में किसी पारिवारिक सदस्य की मृत्यु हो जाती है. उस घर का गम और मायूसी दूर करने के लिए बुंदेलखंड में नाते रिश्तेदार फाग गाने वालों का समूह लेकर पहुंचते हैं. फाग के जरिए उस घर की मायूसी को दूर किया जाता है और एक दूसरे को गुलाल लगाया जाता है. नृत्य और संगीत के जरिए यह संदेश दिया जाता है यह जिंदगी में गम ही सब कुछ नहीं है. जिंदगी आनंद से जीने की चीज है. फाग की यह परंपरा कितनी पुरानी है यह तो किसी को नहीं पता, लेकिन इस तरीके से बीते हजारों सालों से लोग गमों को जरूर भूल रहे हैं.
शहरी इलाकों में होली फूहड़ ता भरी हो सकती है हुड़दंग भरी हो सकती है लेकिन आज भी ग्रामीण इलाकों में होली एक त्यौहार है जहां गंदगी जलाई जाती है रंग खेले जाते हैं और फाग गाए जाते हैं अब तक यह परंपरा जिंदा है आधुनिकता की दौड़ लोगों को परंपराओं से दूर हटा रही है बुरी परंपराएं खत्म हो रही हैं यहां तक ठीक है लेकिन अच्छी परंपराएं भी लोग छोड़ते जा रहे हैं