जबलपुर। जबलपुर के कई आदिवासी बाहुल्य इलाकों में विकास कोसों दूर है. जिला मुख्यालय से करीब 45 किलोमीटर दूर ग्राम सलैया में ज्यादातर ग्रामीण आदिवासी हैं. जिन्हें किसी भी प्रकार की सरकारी योजनाओं को कोई लाभ नहीं मिल रहा है. जहां इन योजनाओं को शासकीय कर्मचारी चट करने में लगे हुए हैं. सरपंच से लेकर जनपद सीईओ तक को अनियमितताओं की जानकारी होने के बावजूद कोई ग्रामीणों के हक के लिए आगे आने को तैयार नहीं है.
ग्राम सलैया में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत के ग्रामीणों को आवास का लाभ मिला था. साथ ही वह इन मकान को बनाते हैं तो मनरेगा के तहत उन्हें मजदूरी भी मिलेगी. लेकिन ग्राम पंचायत के रोजगार सहायक ने इन आदिवासी ग्रामीणों से इनकी मजदूरी ही छीन ली. गांव में स्वीकृत हुए मकान जो कि प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत बने हुए थे उन मकानों को रोजगार सहायक सचिव खुद ही बनवा रहे हैं. ग्रामीणों का कहना है कि पीएम आवास योजना का उन्हें लाभ तो मिला पर वह लाभ रोजगार सहायक के पास पहुंच गया.
रोजगार सहायक ने हड़प ली पीएम आवास योजना की राशि
ग्रामीण वीरेंद्र सिंह ने बताया कि प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत उन्हें अपनी जमीन पर मकान बनवाने के लिए शासन से 1 लाख 20 हजार रुपए स्वीकृत हुए थे. लेकिन जैसे ही यह राशि उनके खाते में आई, तो रोजगार सहायक भानु प्रताप सिंह ने उनसे यह रकम ले ली. भानू ने वीरेंद्र सिंह का मकान बनवाने के लिए ठेका भी ले लिया. हालांकि वीरेंद्र सिंह ने इसको लेकर अपनी आपत्ति जाहिर की थी, पर उसकी रोजगार सहायक के आगे एक नहीं चली. भानू प्रताप सिंह ने आनन-फानन में 1 लाख 20 हजार रुपए लेकर वीरेंद्र सिंह का मकान तो बनवा दिया, लेकिन उस मकान में न हीं छपाई हुई और ना ही फर्श बन पाया. ऐसे में अब वीरेंद्र सिंह अधूरे मकान में ही रहने को मजबूर है.
रोजगार सहायक-सरपंच के बीच नहीं है तालमेल
ग्राम पंचायत के पास बजट तो है लेकिन सरपंच और रोजगार सहायक का तालमेल न होने के चलते इस गांव से विकास कोसों दूर है. सड़कें आज भी उखड़ी पड़ी हैं. वहीं पानी की भी इस गांव में विकराल समस्या रहती है. ग्रामीण बताते हैं कि सरपंच और रोजगार सहायक का तालमेल न होने के चलते गांव का विकास पूरी तरह से रूका हुआ है. सरपंच गणपत सिंह का कहना है कि रोजगार सहायक के चलते ज्यादातर गांव के विकास रूके हुए हैं. रोजगार सहायक के पिता कांग्रेस के एक दिग्गज नेता हैं और हाल ही में विधानसभा चुनाव भी उन्होंने लड़ा था. सरपंच ने कहा कि रोजगार सचिव को और उन्हें समझाने की कई बार भरसक कोशिश भी की गई, पर कोई नतीजा नहीं निकला. लिहाजा सरपंच अब जिला स्तर के अधिकारियों से मिलने की तैयारी में जुट गए हैं.
सभी आरोपों को रोजगार सहायक ने बताया गलत