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कर्मचारियों का हक मारने की साजिश!

मध्यप्रदेश औद्योगिक संबद्ध अधिनियम-1960 में संशोधन कर श्रम न्यायालय के दायरे से 11 इंड्रस्ट्रीज को अलग किये जाने को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है. इस मामले को हाईकोर्ट ने काफी गंभीरता से लिया है.हाईकोर्ट की युगलपीठ ने आज सुनवाई के बाद श्रम विभाग के प्रमुख सचिव को नोटिस जारी कर छह सप्ताह में जवाब पेश करने के निर्देश दिये हैं.

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श्रम विभाग के प्रमुख सचिव दें जवाब

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Published : Feb 12, 2021, 3:30 PM IST

जबलपुर। 11 इंड्रस्ट्रीज को श्रम न्यायालय के दायरे से अलग किये जाने को हाईकोर्ट ने गंभीरता से लिया है. इस पर एक याचिका हाईकोर्ट में दायर हुई है. चीफ जस्टिस मोहम्मद रफीक और जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की युगलपीठ ने श्रम विभाग के प्रमुख सचिव को नोटिस जारी कर छह सप्ताह में जवाब पेश करने को कहा है.

मप्र औद्योगिक संबद्ध अधिनियम-1960 में संशोधन कर श्रम न्यायालय के दायरे से 11 इंड्रस्ट्रीज को अलग किये जाने को चुनौती दी गई है. हाईकोर्ट में इसके खिलाफ दायर याचिका पर आज हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. कोर्ट ने श्रम विभाग के प्रमुख सचिव को नोटिस जारी कर छह सप्ताह में जवाब मांगा है. अदालत ने मामले की सुनवाई संबंधित एक अन्य मामले के साथ संयुक्त रूप से करने के आदेश दिये हैं.

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यह याचिका महाकौशल यातायात कर्मचारी कांग्रेस के अध्यक्ष कृपा शंकर वर्मा की ओर से दायर की गई है. जिसमें कहा गया है कि श्रम न्यायालयों से 11 अनुसूचित उद्योगों को अलग किया जाना गलत है. आवेदक का कहना है कि संशोधन के बाद अब कर्मचारी सीधे श्रम न्यायालयों में केस दायर नहीं कर सकेंगे, जो कि अवैधानिक है.

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