इंदौर।बीते 18 सालों से सत्ताधारी दल के रूप में मध्य प्रदेश पर काबिल भाजपा जहां एक बार फिर सत्ता पाने की कोशिशें में जुटी है. वहीं इस बार चुनाव में मुख्यमंत्री का कोई चेहरा नहीं होने के कारण चुनावी मैदान में उतारे गए शिवराज के समकक्ष कई दिग्गज मुख्यमंत्री बनने की आस लगाए चुनाव लड़ रहे हैं. इनमें कुछ तो ऐसे हैं, जो सार्वजनिक मंच से मुख्यमंत्री बनने की अपनी हसरत को बयान भी कर चुके हैं.
गौरतलब है कि भाजपा में इस बार मुख्यमंत्री का चेहरा नहीं घोषित करने के कारण पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के बीच लगभग यह स्पष्ट है कि इस बार सत्ता में वापसी के बावजूद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को फिर यह जिम्मेदारी मिल पाना मुश्किल है. इस बीच पार्टी द्वारा चुनावी मैदान में नरेंद्र सिंह तोमर, कैलाश विजयवर्गीय, प्रहलाद पटेल और फगन सिंह कुलस्ते आदि शिवराज से भी ज्यादा वरिष्ठ दिग्गज नेताओं को चुनावी मैदान में उतारने के कारण इन तमाम नेताओं के बीच मुख्यमंत्री बनने की लालसा होना सामान्य है. यही कारण है कि इस बार अपनी हसरत को सार्वजनिक करने में ना तो कैलाश विजयवर्गी पीछे रहे और ना ही गोपाल भार्गव को कोई एतराज हुआ.
इस बीच माना जा रहा है कि भाजपा के सत्ता में वापसी की स्थिति पर मुख्यमंत्री बनने के लिए एक दो नहीं बल्कि भाजपा में ही आठ दिग्गज नेता हैं. हालांकि वर्तमान चुनावी सर्वेक्षण और एंटी इनकमबेन्सी के फलस्वरुप कई नेता यह भी मान रहे हैं कि इस बार भाजपा के लिए सत्ता में आना बहुत मुश्किल होगा. जैसे आईए जानते हैं आखिर कौन सा प्रतिनिधि अपने किस रणनीति के तहत सीएम बनने की लालसा रखे हुए हैं.
नरेंद्र सिंह तोमर: तोमर भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष रह चुके हैं. इसके अलावा फिलहाल में केंद्र में कृषि जैसे महत्वपूर्ण मंत्रालय के मंत्री रहे हैं. तोमर का मुख्यमंत्री रहे शिवराज सिंह चौहान से भी खास सामंजस्य रहा है. इसके अलावा पिछली बार भी तोमर का ही नाम मुख्यमंत्री को लेकर चला था, हालांकि इस तरह का फेरबदल संभव नहीं माना जा रहा है कि यदि भाजपा के लिए चुनाव में तमाम परिस्थितियां अनुकूल रही, तो न केवल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बल्कि अमित शाह और शिवराज सिंह चौहान की सहमति से मैनेजमेंट में माहिर अनुभवी कहे जाने वाले तोमर बाजी मार सकते हैं. यही वजह है कि वह दिमनी विधानसभा से चुनावी मैदान में उतारने के बाद न केवल उनकी विधानसभा की जीत बल्कि मध्य प्रदेश की तमाम बहुमत वाली सीटों पर जीत की उम्मीद लिए हुए मुख्यमंत्री चुने जाने की दौड़ में खुद को सबसे आगे महसूस करते हैं.
ज्योतिरादित्य सिंधिया:सिंधिया भाजपा में एक फेस के रूप में स्थापित हो रहे हैं. मध्य प्रदेश में 51 फीसदी ओबीसी आबादी के अलावा वे ओबीसी चेहरे के रूप में अप्रत्यक्ष रूप से मुख्यमंत्री बनने की दौड़ में हैं. कांग्रेस की सरकार में भी वह इसी उम्मीद के मद्देनजर पार्टी छोड़कर भाजपा में आए थे.
प्रहलाद पटेल:प्रहलाद पटेल का पूर्व में भी मुख्यमंत्री बनने को लेकर नाम चला था, लेकिन पार्टी आला कमान ने इस तरह का फैसला नहीं लिया था. केंद्र में मंत्री और पुराने अनुभवी नेता होने के साथ प्रहलाद पटेल भी ओबीसी चेहरे के रूप में उम्मीद लगाए बैठे हैं. इस बार पार्टी ने उन्हें केंद्रीय मंत्री पद पर रहते हुए विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए मैदान में उतारा है. जिसे लेकर वह भी कहीं ना कहीं मुख्यमंत्री बनने की उम्मीद लिए दौड़ में नजर आते हैं.