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ICMR ने दिए संकेत - खाद्य तेलों के औद्योगिक इस्तेमाल पर लग सकती है रोक

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Published : May 17, 2022, 7:43 PM IST

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICMR) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने मंगलवार को खाद्य तेलों के औद्योगिक उपयोग को रोकने का आह्वान करते हुए कहा कि पेंट उद्योग देश के खाद्य तेल का 23 प्रतिशत खपत करता है. पीटीआई से बात करते हुए आईसीएआर के सहायक महानिदेशक (तिलहन और दलहन) डॉ. संजीव गुप्ता ने कहा कि यह एक महत्वपूर्ण मुद्दा है कि देश का 23 प्रतिशत खाद्य तेल पेंट, वार्निश और अन्य उत्पाद बनाने वाली फैक्ट्रियों में जाता है. यह आवश्यक है कि खाद्य तेल के इस औद्योगिक उपयोग को रोका जाए. (ICMR gives indications) (Industrial use of edible oils may be banned) (Call to stop industrial use of edible oils)

ICMR gives indications
खाद्य तेलों के औद्योगिक उपयोग को रोकने का आह्वान

इंदौर।सोयाबीन पर अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजना की 52वीं वार्षिक समूह बैठक में भाग लेने के लिए यहां आए गुप्ता ने कहा कि भारत वर्तमान में खाद्य तेल की अपनी आवश्यकता का लगभग 60 प्रतिशत आयात कर रहा है और इस पर 1.17 लाख करोड़ रुपये खर्च कर रहा है. उन्होंने कहा कि जहां तक ​​खाद्य तेलों की बात है तो सरकार आयात कम कर देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए कदम उठा रही है.

रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण भी खाद्य तेल की किल्लत :गुप्ता ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी आईसीएआर से तिलहन उत्पादन बढ़ाने के लिए एक कार्ययोजना प्रस्तुत करने को कहा है. गुप्ता ने कहा कि खाद्य तेलों की घरेलू आवश्यकता को पूरा करने के लिए देश को बाहरी चुनौतियों का भी सामना करना पड़ रहा है. रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण दोनों देशों से सूरजमुखी के तेल की आपूर्ति बाधित हुई है. उन्होंने कहा कि भारत आमतौर पर इन देशों से अपनी सूरजमुखी तेल की आवश्यकता का 85 प्रतिशत आयात करता है. गुप्ता ने कहा कि हम देश में सूरजमुखी का उत्पादन बढ़ाने की योजना पर काम कर रहे हैं.

खाद्य तेल की प्रति व्यक्ति खपत तीन गुना बढ़ी :पिछले महीने पाम तेल के निर्यात पर इंडोनेशिया के प्रतिबंध के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि सरकार ने ताड़ के पेड़ों के नीचे के क्षेत्र को 4 लाख हेक्टेयर से बढ़ाकर 40 लाख हेक्टेयर करने के लिए एक रोडमैप तैयार किया है. देश ने 1990 के दशक में 'पीली क्रांति' के माध्यम से तिलहन उत्पादन में आत्मनिर्भर बनने की पहल की थी, लेकिन आज देश में खाद्य तेल की प्रति व्यक्ति खपत जनसंख्या में वृद्धि के अलावा तीन गुना बढ़ गई है. उन्होंने कहा कि वर्तमान में देश में 120 लाख हेक्टेयर भूमि पर सोयाबीन की खेती की जाती है और उन्नत किस्मों के माध्यम से इसकी प्रति हेक्टेयर उपज बढ़ाने का प्रयास किया जा रहा है.

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अन्य राज्यों को सोयाबीन की नई किस्में विकसित करनी होंगी :मध्यप्रदेश देश में सोयाबीन का सबसे बड़ा उत्पादक है. हालांकि, खेती वाले क्षेत्र में ठहराव और फसल की पैदावार प्रसंस्करण उद्योग की चिंताओं को बढ़ा रही है. गुप्ता ने जोर देकर कहा कि वैज्ञानिकों को विशेष रूप से कर्नाटक, पंजाब और हरियाणा के साथ-साथ पूर्वोत्तर राज्यों के लिए जलवायु परिस्थितियों के अनुसार सोयाबीन की नई किस्में विकसित करनी चाहिए, ताकि देश में इस तिलहन की खेती का विस्तार किया जा सके. एक सवाल का जवाब देते हुए आईसीएआर के अधिकारी ने कहा कि देश में आनुवंशिक रूप से संशोधित (जीएम) सोयाबीन की खेती को मानव उपभोग के लिए अनुमति देने पर फैसला लोकतांत्रिक सहमति से ही लिया जा सकता है. (ICMR gives indications) (Industrial use of edible oils may be banned) (Call to stop industrial use of edible oils)

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