इंदौर।शहर तेजी से विकसित हो रहा है, लेकिन उतनी ही तेजी से आम लोगों की मूलभूत सुविधाओं की पूर्ति करना भी नगर निगम के लिए चुनौती बनता जा रहा है. शहर के लोगों को नर्मदा नदी के जरिए पानी का सप्लाई की जाती है, लेकिन एशिया का सबसे महंगा जल प्रोजेक्ट होने के बावजूद पूरे इंदौर को नर्मदा का पानी नहीं मिल पा रहा. अभी भी आधा शहर के प्राकृतिक स्रोतों पर निर्भर है. लेकिन नगर निगम ने भी शहर के इन प्राकृतिक स्रोतों को लेकर कभी सुध नहीं ली, जिस कारण शहर को पानी की समस्या से जूझना पड़ता है.
यदि शहर के ही प्राकृतिक स्त्रोतों को फिर से संवारा जाए तो शहर के लोगों के घरों तक पानी पहुंचाने में लगने वाली एक बड़ी राशि को खर्च करने से रोका जा सकता है.
इंदौर में फिलहाल नर्मदा का पानी जलूद से पंप कर शहर तक लाया जा रहा है. नर्मदा के तीन चरण होने के बावजूद पूरे शहर में पानी सप्लाई व्यवस्था नहीं सुधरी है. अभी भी शहर के कई इलाकों को बोरिंग और टैंकरों की मदद से पानी पहुंचाया जाता है. हालांकि सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि यदि शहर के प्राकृतिक स्त्रोतों को ही नगर निगम जिंदा कर ले तो पूरे शहर में नर्मदा का पानी लाने की जरूरत नहीं पड़ेगी और एक बड़ी राशि नर्मदा के पानी लाने पर जो खर्च की जाती है उसे रोका जा सकेगा.
इंदौर तक पानी को पहुंचाना बहुत ही महंगा
इंदौर में जलूद स्थित पंप से पानी पहुंचाना बहुत ही महंगा है. यहां नर्मदा के पानी को पहले 600 मीटर ऊपर तक लाया जाता है. जिसके बाद अलग-अलग पंपों के माध्यम से लोगों तक पानी को पाइप लाइन के माध्यम से सप्लाई किया जाता है. पूरे प्रदेश की बात करें तो कहीं पर भी पानी को इतना ऊंचा लिफ्ट कर लाने की प्रक्रिया नहीं है. इस प्रक्रिया को अपनाना भी नगर निगम के लिए चुनौतीपूर्ण है. क्योंकि शहर में मौजूद जल के बाकी स्त्रोतों से पानी सप्लाई की पूर्ति नहीं हो पाती है.
नर्मदा के पानी के लिए 49 दिन चला था आंदोलन
इंदौर में नर्मदा का पानी लाने के लिए 5 जुलाई 1970 से 23 अगस्त 1970 तक चलने वाले आंदोलन में पूरा शहर एक साथ खड़ा हुआ था. तभी से 5 जुलाई का दिन भी नर्मदा दिवस के रूप में इंदौर के इतिहास में दर्ज है. 1970 में इस दिन इंदौर में हर जगह लोगों ने नर्मदा के पानी को लाने के लिए आंदोलन शुरू किया था. यह शहर का पहला आंदोलन था, जिसमें दलगत राजनीति से परे जाकर जनप्रतिनिधियों ने इस मांग का समर्थन किया था. जिसके बाद आखिरकार 23 अगस्त 1970 को शाम 6 बजकर 20 मिनिट पर इंदौर में नर्मदा का पानी लाने की ऐतिहासिक घोषणा हुई थी.