इंदौर| बढ़ती गर्मी के कारण लगातार आग लगने की घटनाएं सामने आ रही हैं. ऐसी घटनाओं पर नियंत्रण और सुरक्षा के लिए जिम्मेदार अग्निशमन विभाग खुद संसाधन और अमले को की कमी से जूझ रहा है. औद्योगिक राजधानी इंदौर में आलम ये है कि यहां कि अग्निशमन सेवाएं और विभागीय अमला शासन की उपेक्षा का शिकार है.
आर्थिक राजधानी में अग्निशमन सेवाओं का है बुरा हाल, 32 लाख की आबादी वाले शहर में हैं सिर्फ 5 फायर स्टेशन - आर्थिक राजधानी
औद्योगिक राजधानी इंदौर में आलम ये है कि यहां कि अग्निशमन सेवाएं और विभागीय अमला शासन की उपेक्षा का शिकार है. 32 लाख से ज्यादा की आबादी वाले शहर में मात्र 5 फायर स्टेशन हैं.
32 लाख से ज्यादा की आबादी वाले शहर में मात्र 5 फायर स्टेशन हैं. जिनमें 2010 तक ढाई सौ कर्मचारी कार्यरत थे, अब इनमें से एक तिहाई कर्मचारी रिटायर हो गए. लिहाजा जितने लोग फिलहाल विभाग में मौजूद हैं वहीं जैसे- तैसे अग्निशमन सेवाएं उपलब्ध करवा रहे हैं. इंदौर में अग्निशमन सेवाओं का मुख्यालय लक्ष्मी नगर फायर स्टेशन है, जहां फायर एसपी के निर्देशन में चार थाना प्रभारी, 7 सब इंस्पेक्टर और 1 एएसआई है. शहर के मोती तबेला, गांधी हाल, जीएनटी मार्केट और सांवेर रोड पर स्थित फायर स्टेशन शहर के विभिन्न इलाकों में अग्निशमन सेवाएं मुहैया करवा रहे हैं.
जरूरत के मुताबिक शहर में 10 स्टेशन होने चाहिए, लेकिन कई दशकों से यहां आधे ही फायर स्टेशन हैं. इसी प्रकार फायर स्टेशन में न्यूनतम 40 फायर नियंत्रण वाहन होने चाहिए, लेकिन यहां मात्र 20 फायर ब्रिगेड ही मौजूद हैं. इनमें से भी आधे वाहनों की हालत कंडम हो चुकी है. इंदौर जैसे महत्वपूर्ण और आग की घटनाओं के लिए संवेदनशील औद्योगिक क्षेत्रों के लिए उपलब्ध संसाधनों का आलम यह है कि जो वाहन नगरीय प्रशासन विभाग द्वारा फायर ब्रिगेड को दिए जाते हैं वह आधे-अधूरे बजट और सामंजस्य नहीं होने के कारण समय रहते अपग्रेड ही नहीं हो पाते.