मध्य प्रदेश

madhya pradesh

ETV Bharat / state

कोरोना काल में बदल गए मनोरंजन के साधन, ऑनलाइन प्लेटफॉर्मों ने ली पार्क की जगह - मनोरंजन के साधन

कोरोना संक्रमण ने देश और दुनिया के तमाम व्यापारों पर गहरा असर डाला है. कोरोना काल में मनोरंजन की दुनिया भी पूरी तरह से बदल गई है. जो पार्क कभी गुलजार रहते थे, वे अब तक सूने पड़े हैं. अनलॉक होते ही सभी व्यापार धीरे-धीरे पटरी पर आ रहे हैं, लेकिन पार्क और वॉटर पार्कों को खोलने की अनुमति अब तक नहीं दी गई. पार्क संचालक अपने जेब से खर्च कर पार्कों का रखरखाव कर रहे हैं.

entertainment new means
बदल गए मनोरंजन के साधन

By

Published : Dec 16, 2020, 6:38 PM IST

इंदौर।दुनियाभर में कोरोना संक्रमण ने ग्रहण लगाते हुए आम जन-जीवन अस्त-व्यस्त कर दिया है. देश भर के तमाम व्यापारों पर गहरा असर पड़ा है. कोरोना काल में मनोरंजन की दुनिया भी पूरी तरह से बदल गई है. लॉकडाउन होते ही बंद हुए पार्क और थीम पार्क सूने हो गए. हालांकि, अनलॉक होने के बाद कई व्यापार दोबारा पटरी पर आ रहे हैं, लेकिन मनोरंजन पार्क और वॉटर पार्क की तरफ किसी का ध्यान नहीं गया है. जिसका नतीजा ये है कि यहां काम करने वाले कई कर्मचारी सिलसिलेवार बेरोजगार होते जा रहे हैं.

बदल गए मनोरंजन के साधन

सूने पड़े पार्क

छुट्टियों के दौरान और रोजाना शाम को पार्क बच्चों और बुजुर्गों से गुलजार रहते थे, लेकिन पिछले 8 महीने से वे सूने ही दिखाई दे रहे हैं. कोरोना संक्रमण को देखते हुए सख्त निर्देश दिए गए हैं कि बच्चे और बूढ़ें घर से बाहर न निकलें. ऐसे में अब पार्क जाए तो जाए कौन. पार्क में ज्यादातर बच्चे और बुजुर्ग ही नजर आते हैं. बच्चे जहां खेलने पार्क में पहुंचते हैं तो, वहीं बुजुर्ग अपनी सेहत को ध्यान में रखते हुए पार्क जाते हैं. लेकिन गाइडलाइन में मनाही के बाद न तो बच्चे पार्क जा रहे हैं और न हीं बुजुर्ग, ऐसे में पार्क सूने हैं.

वॉटर पार्क पर कोरोना संक्रमण का खतरा

नमी वाली जगहों पर कोरोना वायरस का खतरा सबसे ज्यादा बताया गया है. इसके अलावा वॉटर पार्क में कोरोना संक्रमण की गाइडलाइन का पालन भी नहीं कराया जा सकता है. 8 महीने से इंदौर सहित देशभर के वॉटर पार्क पूरी तरह से बंद हैं. संक्रमण के बढ़ते मरीजों को देखते हुए इन्हें भविष्य में भी चालू करने की कोई अनुमति दी जाने की संभावना नहीं दिख रही है. वॉटर पार्क बंद रहने का सीधा असर ये हुआ है कि वॉटर पार्क में पानी खत्म कर दिया गया है. अब कई वॉटर पार्क सूखे पड़े हैं. इन वॉटर पार्क में काम करने वाले कर्मचारियों को भी संचालकों ने घर भेज दिया है, जिससे एक बड़ी संख्या को बेरोजगारी का सामना करना पड़ रहा है.

सूने पड़े झूले

बिना आय हो रहा पार्क का रखरखाव

मध्य प्रदेश के सबसे पहले वॉटर पार्क के मैनेजर डीएन मिश्रा ने बताया कि किसी भी पार्क के रखरखाव में रोजाना 20 से 25 हजार का खर्च आता है. अगर कोई थीम पार्क संचालित रहता है तो उसमें साफ-सफाई और कर्मचारियों की सैलरी में खर्च होता है. वहीं वॉटर पार्क में रोजाना पानी साफ करने, उसमें क्लोरीन डालने का खर्च बहुत ज्यादा बैठता है. पिछले 8 महीने से बंद पार्कों के कारण संचालकों की आय भी पूरी तरह से बंद हो गई है, लेकिन पार्क के रखरखाव पर एक बड़ी राशि खर्च हो रही है. यही कारण है कि अब कर्मचारियों की कटौती कर इन पार्कों को यथास्थिति में बनाए रखने की योजना बनाई जा रही है.

पढ़ें-कोरोना के दौर में धीरे-धीरे पटरी पर आ रही गांव की अर्थव्यवस्था, मजदूरों को मनरेगा बन रही सहारा

बढ़ते संक्रमितों की संख्या ने बढ़ाई चिंता

कोरोना संक्रमित मरीजों में लगातार हो रहे इजाफे के कारण मनोरंजन पार्क और वॉटर पार्क संचालकों के सामने एक बड़ी चिंता फिर आ खड़ी हुई है. संचालक लगातार प्रशासन से पार्कों को खोलने की अनुमति मांग रहे हैं, लेकिन एक बार फिर मरीजों की बढ़ती संख्या के कारण पार्क बंद ही रहने की संभावना बढ़ गई है. अब संचालकों को उम्मीद है कि सरकार किसी न किसी तरीके से उनकी मदद कर, एक बार फिर मनोरंजन पार्क व्यवसाय को खड़ा करने में उनकी मदद करेगी.

वॉटर पार्क सूने

ऑनलाइन प्लेटफॉर्मों ने ली जगह

कोरोना संक्रमण के कारण मनोरंजन का भी नया दौर शुरू हो गया है. पहले लोग छुट्टियों में मनोरंजन पार्क और वॉटर पार्क जाते थे. लेकिन अब इन पार्कों की जगह ऑनलाइन प्लेटफॉर्म ने ले ली है. संक्रमण के डर के चलते एक ओर जहां वॉटर पार्क को चालू करने की अनुमति नहीं दी गई है, वहीं मनोरंजन पार्क में भी पहुंचने वाले लोगों की संख्या न के बराबर है. मनोरंजन के लिए अब ऑनलाइन प्लेटफॉर्म का लोग सहारा लेने लगे हैं. वहीं छुट्टियां बिताने के लिए भी लोग घर में ही सिनेमा और वेब सीरीज की तरफ बढ़ रहे हैं, जिसके कारण मनोरंजन पार्क के अस्तित्व पर खतरा मंडराने लगा है.

ABOUT THE AUTHOR

...view details