इंदौर।लॉकडाउन के कारण आर्थिक तंगी बेरोजगारी और भुखमरी झेल रही आम जनता को लेकर एक बार फिर वरिष्ठ भाजपा नेता भंवर सिंह शेखावत ने सरकार और इंदौर जिला प्रशासन पर सवाल उठाए हैं. शेखावत ने कहा, 'इंदौर में लॉकडाउन के नाम पर जिस तरह जनता को प्रताड़ित किया जा रहा है और लोग रोजी-रोटी को लेकर संघर्ष कर रहे हैं, इसका खामियाजा भाजपा को चुनाव में जरूर उठाना पड़ेगा.' इतना ही नहीं उन्होंने कहा, 'यदि इस स्थिति में जनता सड़कों पर उतरी तो वह जनता का नेतृत्व करने से भी पीछे नहीं हटेंगे.'
बीजेपी नेता भंवर सिंह शेखावत ने अपनी ही सरकार पर खड़े किए सवाल बदनावर सीट से विधायक रहे भाजपा के वरिष्ठ नेता भंवर सिंह शेखावत अपनी सीट से सिंधिया समर्थक राज्यवर्धन दत्तीगांव को टिकट देने की तैयारियों से नाराज हैं, हाल ही में उन्होंने इस बात पर मुखर होकर नाराजगी जताई थी, जिसे लेकर उन्हें बाद में पार्टी को सफाई देनी पड़ी थी, अब जबकि वह इंदौर में लॉकडाउन के कारण लोगों को हो रही परेशानी से रूबरू हो रहे हैं तो उन्होंने इसके लिए इंदौर जिला प्रशासन को जिम्मेदार ठहराया है.
मंगलवार को इंदौर प्रेस क्लब में उन्होंने प्रेस वार्ता के दौरान कहा, 'राज्य सरकार ने कोरोना से पीड़ित लोगों की मदद के लिए प्रभारी मंत्री तुलसी सिलावट को जिम्मेदारी दी थी, लेकिन सांवेर उप-चुनाव के कारण सिलावट वहां व्यस्त हैं. ऐसी स्थिति में जब तक हालात सामान्य नहीं हो जाते, उन्हें यह जिम्मेदारी अन्य मंत्री उषा ठाकुर को दे देना चाहिए.'
शेखावत ने कहा, 'इंदौर में लोगों को प्रशासन के नियमों का हवाला देकर रोजी-रोटी से रोका जा रहा है. तरह-तरह के अरमानों के कारण जनता पेट भरने के लिए रोटी भी नहीं कमा पा रही है. ऐसी स्थिति में अपराध बढ़ेंगे और अराजकता फैलेगी.' उन्होंने कहा, 'लोगों की परेशानियों को हल करना जनप्रतिनिधियों का काम है, जबकि जनप्रतिनिधि खुद ही जिला प्रशासन के आदेशों से हैरान हैं.'
भंवर सिंह शेखावत ने कहा 'बार-बार लॉकडाउन के कारण लोग अपना व्यापार नहीं कर पा रहे हैं, जब हम लोग किसी को रोजगार ही नहीं दे पा रहे हैं तो लॉकडाउन के नाम पर हमें किसी की भी रोजी-रोटी छीनने का हक नहीं है.' शेखावत ने कहा, 'यही स्थिति रही तो आगामी उप-चुनाव में भाजपा को इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा. शेखावत ने स्पष्ट किया कि इंदौर में कोरोना से निपटने के जो प्रयास किए जा रहे हैं. उसकी मार सीधे तौर पर गरीब और मध्यमवर्गीय लोगों पर पड़ रही है. ऐसे में यदि जनप्रतिनिधि उनकी आवाज सरकार तक नहीं पहुंच आएंगे तो कौन पहुंचाएगा.'