इंदौर। कुछ सालों पहले जिला बना आगर मालवा अब देश का ऑरेंज हब बनकर उभर रहा है. जिले के 6 से 7 हजार किसान हर साल 6 लाख 50 हजार मीट्रिक टन रसीले संतरे का उत्पादन कर रहे हैं. जो अब देश की सीमाओं से निकलकर बांग्लादेश, मलेशिया, वियतनाम और थाईलैंड जैसे देशों में पहुंच रहा है.
संतरे की पैदावार के लिहाज से विशेष जलवायु और उर्वरा भूमि से भरपूर आगर-मालवा अब देशभर में संतरे के उत्पादन के लिए भी जाना जा रहा है. यही वजह है कि राज्य सरकार के उद्यानिकी विभाग ने इस जिले की मुख्य फसल के तौर पर संतरे को चुना है. करीब एक दशक पहले शाजापुर में संतरे का उत्पादन होता देख यहां के किसानों ने भी संतरे की फसल लेने की तैयारी की थी. इसके बाद देखते ही देखते अधिकांश किसानों ने इस फसल को प्राथमिकता दी. फिलहाल स्थिति यह है कि जिले में करीब 37 लाख हेक्टेयर रकबे में संतरे का करीब साढ़े 6 लाख मीट्रिक टन उत्पादन किया जा रहा है. जो अब 80 पीसदी तक बांग्लादेश, मलेशिया, वियतनाम समेत कई एशियाई देशों में एक्सपोर्ट किया जा रहा है, जिसे लेकर यहां के किसान भी खुश हैं.
यहां का संतरा बांग्लादेश, थाईलैंड और वियतनाम जैसे देशों में किया जाता है एक्सपोर्ट जिले में ही होगी संतरे की फूड प्रोसेसिंग
संतरे के जल्दी खराब होने की प्रकृति के कारण अब कोशिशें की जा रही है कि संतरे से अन्य उत्पाद भी तैयार किए जाएं. इसमें मुख्य रूप से कैंडी और पल्प पाउडर बनाने की तैयारी हो रही है. इसे लेकर आगर-मालवा के ही कुछ व्यापारियों ने राज्य शासन की मदद से छोटी-छोटी इकाई लगाने का फैसला किया है. जिससे कि अब संतरे के अलावा उस से बनने वाले अन्य उत्पाद भी आगर मालवा में ही तैयार किए जा सकेंगे. फल स्वरूप यहां संतरे से जुड़े उद्योग स्थापित होने के साथ ही रोजगार का भी विस्तार हो सकेगा.
आगर-मालवा बना देश का ऑरेंज हब नागपुर को टक्कर देने की तैयारी
मध्य प्रदेश में फिलहाल आगर मालवा के साथ शाजापुर जिले में संतरे का बंपर उत्पादन होता है. हाल के कुछ वर्षों में दिल्ली और मुंबई के व्यापारी भी संतरे की खरीदारी करने शाजापुर और आगर मालवा जिलों का रुख कर रहे हैं. इधर स्थानीय किसानों की स्थिति यह है कि अचानक फसल आने के बाद उसका विपणन और प्रबंधन नहीं हो पाने के कारण संतरे की बिक्री स्थानीय स्तर पर न्यूनतम दामों में हो जाती है. हालांकि स्थानीय स्तर से व्यापारी जो माल खरीदते हैं उसे दिल्ली और मुंबई की मंडियों में डबल भाव में बेचते हैं. नतीजतन स्थानीय किसानों को संतरे की फसल से उतनी आय नहीं हो पाती, जितनी बिचौलियों को होती है.
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अब किसानों को दिया जा रहा है व्यापार का मंच
मध्य प्रदेश में उद्यानिकी विभाग राज्य के विभिन्न जिलों में होने वाली अलग-अलग फसलें और अलग-अलग उत्पादन को देश विदेश के वास्तविक खरीदारों तक पहुंचाने के लिए अब अलग-अलग व्यापारिक मंच उपलब्ध करा रहा है. जिनमें अलग-अलग जिलों के उत्पाद वास्तविक विक्रेताओं और उद्योगों के समूहों को सीधे उपलब्ध कराए जाने की तैयारी है. जिससे कि किसानों को उनकी फसल का वास्तविक लाभ मिल सके इसके अलावा जो भी उत्पादन मध्य प्रदेश के विभिन्न जिलों में हो रहा है उसकी प्रमोशन और ब्रांडिंग व्यापार और किसानों के हित में की जा सके. यही वजह है कि राज्य में जिलों के हिसाब से उत्पादन और फसलों को निर्धारित करने के बाद उनका विशेष तौर पर प्रमोशन हो रहा है जिससे कि मध्य प्रदेश के संबंधित जिले की संबंधित फसल अथवा उत्पादन देश और दुनिया में ब्रांड बन सके.