ग्वालियर। सिविल इंजीनियर राम मोहन त्रिपाठी ने एक मजदूर के बेटे को इंजीनियर बनाने की ठान लिया है. मजदूर राजेन्द्र के सेवा भाव को देखते हुए उसके इकलौते बेटे को बीटेक के लिए ग्वालियर के जाने-माने इंजीनियरिंग संस्थान में दाखिला दिलाया है. राजेन्द्र उन्हें अपना गुरू मानते हैं और कहते है कि उन्होंने हर मुसीबत में उनका साथ दिया है.
मिसालः पिता से बढ़कर निभा रहे जिम्मेदारी, मजदूर के बेटे को करा रहे इंजीनियरिंग - फादर्स डे
सिविल इंजीनियर राम मोहन त्रिपाठी ने एक मजदूर के बेटे को इंजीनियर बनाने की ठान लिया है. मजदूर राजेन्द्र के सेवा भाव को देखते हुए उसके इकलौते बेटे को बीटेक के लिए ग्वालियर के जाने-माने इंजीनियरिंग संस्थान में दाखिला दिलाया है.
सिविल इंजीनियर राम मोहन त्रिपाठी गाजियाबाद में एक कंस्ट्रक्शन कंपनी में काम कर रहे थे. उसी दौरान उनकी मुलाकात बिहार से मजदूरी के लिए आए राजेंद्र प्रसाद चौरसिया से हुई. जिसके बाद से ही ये दोनों एक दूसरे के साथ काम करते हुए करीब आते गये. राजेंद्र का सेवा भाव देख त्रिपाठी ने उसके इकलौते बेटे संदीप को इंजीनियर बनाने की ठानी. उन्होंने बिहार के छपरा निवासी संदीप को उसके गांव से ही इंटरमीडिएट कराया. उसके बाद उच्च शिक्षा के लिए उसे ग्वालियर के जाने-माने इंजीनियरिंग संस्थान में प्रवेश दिलाया.
त्रिपाठी का कहना है कि वे अपने एकदम नजदीकी और अब घर के सदस्य बन चुके राजेंद्र चौरसिया के बेटे संदीप को इंजीनियरिंग की पढ़ाई अपने खर्चे से करा रहे हैं. इतना ही नहीं रोजाना शाम को उसकी पढ़ाई का स्टेटस भी जानते हैं और जरूरत पड़ने पर खुद भी उसे पढ़ाने बैठ जाते हैं.
संदीप के पिता राजेंद्र का कहना है कि यदि गुरू जी नहीं होते तो उनका बेटा शायद गांव में ही रह जाता और हो सकता था कि वह भी मजदूरी ही करता. उन्होंने हर मुसीबत में हमारा साथ दिया, हमारी बहनों की शादी में भी बहुत सहयोग किया है.